भाग- 16 “ताँबे और पीतल के बर्तन” “आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

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सूफ़ी की क़लम से…✍🏻

आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

भाग- 16 “ताँबे और पीतल के बर्तन”

आधुनिक दौर में हर जगह वो चीजें इस्तेमाल होने लगी हैं जो सस्ती और उपयोग में आसान होती हैं इसी सिस्टम के चलते हमारे रसोईघरों से ताँबे,पीतल और काँसे जैसे प्राचीन बर्तन लुप्त हो चुके हैं क्यूँकि ये दूसरें बर्तनों की तुलना में महंगे और वज़नदार होने के साथ ही विशेष देखभाल वाले भी होते हैं । बस इसी वजह से लोगो ने इनसे दूरी बना ली और इनसे होने वाले फायदों से भी कोसों दूर हो गए । इस बात में कोई संदेह नहीं कि जबसे ये बर्तन हमारी रोजमर्रा जिंदगी से दूर हुए हैं तब से इंसानों में बालों की समस्या,जोड़ों की समस्या,त्वचा जैसे कई रोग भारी मात्रा में पनपने लगे हैं । पिछले भाग में हमने पढ़ा था कि जिस तरह लोहे और मिट्टी के बर्तन हमारे किचन का हिस्सा होना चाहिए उसी तरह कुछ क़दम पीछे चलकर हमें ताम्बे और पीतल के बर्तन भी अपनाना चाहिए जिनका इस्तेमाल हमें प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है ।

ताँबा:- 

ताँबा जिसे हम कॉपर कहते हैं,एक शुद्ध धातु है जिसका रंग लाल भूरा होता है । तांबा पानी को प्राकृतिक तरीक़े से शुद्ध करता है जिससे हमें साफ़ पानी पीने को मिलता है और ये बताने की आवश्यकता तो है नहीं कि शुद्ध पानी से  क्या क्या फायदे होते हैं । जब पानी शुद्ध था तब भी हमारे बुजुर्ग इन बर्तनों का उपयोग करके पानी पीते थे और आज जब पानी की सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है तब भी हम इसकी शुद्धता को  नजरअंदाज कर ख़राब पानी का सेवन किया जा रहा हैं।  ताँबे के बर्तनों में एंटॉक्सीडेंट गुण होते हैं जो पानी को और बेहतर बनाते हैं ताँबे के बर्तनो के इस्तेमाल से जोड़ो के दर्द सहित कई बीमारियों में लाभ मिलता है ।

पीतल के बर्तन:- 

पीतल ,ताँबे और जस्ते की मिश्र धातु होती हैं जो खाना पकाने के लिए आदर्श मानी जाती हैं । इसका रंग सुनहरा पीला होता है जो देखने में भी आकर्षक होता है और इसके फायदे भी अनेक हैं । तांबे पीतल के बरतनों में खाना परोसना सम्मान का प्रतीक भी होता है । पीतल में मेलेनिन नामक हार्मोन होता है जो शरीर को यूवी विकिरणों से बचाते हुए बालों सहित सम्पूर्ण त्वचा की देखभाल करता है । साथ ही यह पेट में होने वाले इंफ़ेक्शन से निजात दिलाने में भी मदद करता है ।

जिस तरह ताँबे और पीतल के बर्तन हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं उसी तरह काँसे के बर्तन भी बहुत उपयोगी होते हैं । इन बर्तनों की अच्छी देखभाल के साथ इनको काम में लिया जाए तो यकीन जानिये काफ़ी चौंकाने वाले स्वास्थ्य परिणाम निकल कर सामने आ सकते हैं । इतना ध्यान रखें की इन बर्तनों में खट्टें भोजन का इस्तेमाल न करें और इनकी साफ़ सफ़ाई का नियमित ध्यान रखें तो इनसे बेहतर स्वस्थ लाभ प्राप्त किया जा सकता है ।

मिलते है अगले भाग में 

आपका सूफ़ी 

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2 thoughts on “भाग- 16 “ताँबे और पीतल के बर्तन” “आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

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