नहीं बस ओढ़ना बल्कि बिछोना भी ज़रूरी है
सहत के वास्ते भरपूर सोना भी ज़रूरी है।
फ़क़त मिट्टी में पानी डालने से फल नहीं मिलते
लगाना है शजर तो बीज बोना भी ज़रूरी है।
बिखरने से बचाना है तो फिर समझो सलीके से
किसी धागे में दानों को पिरोना भी ज़रूरी है।
हमेशा हंसते रहना ज़ीस्त में अच्छा नहीं होता
अगर करना हो हल्का दिल तो रोना भी ज़रूरी है।
पड़े रहने से भी अक्सर थकन महसूस होती है
मोशक़्क़त करते रहना बोझ ढोना भी ज़रूरी है।
फिरिज़ अलमारी कूलर टीवी मोबाइल नहीं काफी
अगर बच्चा हो घर में तो खिलौना भी ज़रूरी है।
है यह हैवानियत का दौर इस में ,नाज़,इंसां के
सदा इंसानियत का पास होना भी ज़रूरी है।
– गेस्ट पॉएट इल्यास नाज़ मागंरोल
14 thoughts on “गेस्ट पॉएट इल्यास नाज़ साहब की शानदार ग़ज़ल”
Comments are closed.