तड़पती आवाजें की समीक्षा (श्रीमती परवीना भाटी)

Sufi Ki Kalam Se

किताब _ तड़पती आवाजें
लेखक – नासिर शाह (सूफ़ी)
समीक्षा – श्रीमती परवीना भाटी (शिक्षिका एंव लेखिका), लाड़नू, नागौर, राजस्थान

आपकी किताब पूरी पढ़ी मैंने,
सभी कहानियां एक से एक हैं।सभी वास्तविक जीवन से जुड़ी हुई है।एक आम आदमी कैसे कैसे अपने जीवन मे कठिनाइयों और संघर्षों से गुजरता है उसका सजीव चित्रण आपने शब्दों के माध्यम से सुंदर तरीके से किया है।चाहे वो पैराटीचर का कम आमदनी का दर्द हो या चाहे एक गरीब किसान की कर्ज और ब्याज के बीच फंसी ज़िन्दगी हो।चाहे वो रंग रूप को नकारता दिल से किया गया प्रेम हो या चाहे गाय को लेकर किसी वर्ग विशेष को निशाना बनाने का वर्णन हो।नजीब का गायब होना भी अपने आप मे एक अनसुलझी गुत्थी है जिसे आपने अपने शब्दों में पिरोया है।और नीलोफर के पात्र के माध्यम से मुस्लिम समाज की इल्म की कमतरी को बयां किया है ।निकाह हलाला खुला आदि को लेकर किस किस तरह की भ्रांतिया है उसे आपने बताने का प्रयास किया है।
एक दो कमियां भी नजर आईं, जैसे प्रूफ रीडिंग में कमी है, मात्राओं पर ध्यान कम दिया गया है।
और अंतिम कहानी जैसे अधूरी रह गई। वैसे कहानी वही अच्छी होती है जो पाठकों के मन मे सवाल छोड़ जाए पर उसमे जो सवाल उठाए गए हैं,अंत मे कहानी उनका जवाब नही देती है।

समीक्षक परवीना भाटी नागौर

समीक्षक परवीना भाटी नागौर

Sufi Ki Kalam Se

11 thoughts on “तड़पती आवाजें की समीक्षा (श्रीमती परवीना भाटी)

  1. Pingback: fortigate-40f
  2. Pingback: buy k mex powder
  3. Pingback: poolvilla pattaya
  4. Pingback: bandar toto online
  5. Pingback: fake news
  6. Pingback: https://vhnbio.com
  7. Pingback: MLM business

Comments are closed.

error: Content is protected !!