बालवैज्ञानिकों की उड़ान का सशक्त मंच :- राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (NCSC)
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (NCSTC) द्वारा राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (NCSC) का आयोजन विद्यार्थियों में वैज्ञानिक अन्वेषण को प्रोत्साहित करने, स्थानीय समस्याओं के वैज्ञानिक विधियों द्वारा समाधान को तलाशने एवं दीर्घकालीन विकास हेतु प्रतिवर्ष पूरे राष्ट्र में किया जाता है l राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 10 से 17 आयु समूह के बालवैज्ञानिकों को स्थानीय समस्या पर अपने शोध –पत्र प्रस्तुत करने, उनमें वैज्ञानिक सोच विकसित करने एवं रचनात्मकता हेतु एक सशक्त मंच प्रदान करती है l
यह गतिविधि भारत में उस समय पनपी जब देश में भारत जन विज्ञान जत्था (1987) और भारत जन ज्ञान विज्ञान जत्था (1992) जैसे लोकप्रिय आन्दोलन चल रहे थे l इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश के एन.जी.ओ. ग्वालियर साइंस सेंटर द्वारा की गई, बाद में भारत सरकार ने इसे गोद ले लिया l 1993 में राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में बाल विज्ञान कांग्रेस का शुभारम्भ हुआ l इस वर्ष 28 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है l विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (NCSTC) द्वारा प्रत्येक दो वर्ष हेतु मुख्य विषय एवं उपविषय घोषित किया जाता है l मुख्य विषय एवं उपविषय का चयन कर बालवैज्ञानिक परियोजना का निर्माण करते हैं l राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भारत के अलावा खाड़ी एवं आसियान देशों के बालवैज्ञानिक भाग लेते हैं l
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य : –
बच्चों को एक मंच प्रदान करना जहाँ वे अपनी जिज्ञासा को आगे बढ़ा सकें एवं रचनात्मक कार्य करने की प्यास बुझा सकें l
भौतिक और सामाजिक वातावरण के परिप्रेक्ष्य में स्कूलों में पढ़ाने व सिखाने की प्रक्रिया में बदलाव करना l
बच्चों को राष्ट्र के भविष्य की कल्पना करने और संवेदनशील नागरिक की एक पीढ़ी बनाने में मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना l
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस हेतु चयनित परियोजनाओं की प्रकृति : –
नवाचारयुक्त, सादगीयुक्त एवं व्यवहारिक हो l
रोजमर्रा जिन्दगी के अन्वेषण पर आधारित हो l
क्षेत्र आधारित आंकड़े सम्मिलित हो l
वैज्ञानिक विधि पर आधारित निश्चित निष्कर्ष हो l
इसकी निश्चित अनुवर्ती योजना (Future plan) हो l
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भाग लेने हेतु पात्रता : – राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में विद्यालय से जुड़े अथवा विद्यालय छोड़ चुके 10 से 17 आयुवर्ग (31 दिसम्बर को) के बालक- बालिका भाग ले सकते हैं l इस कार्यक्रम में दो ग्रुप होते हैं – 1. जूनियर ग्रुप – इस ग्रुप में 10 से 14 आयुवर्ग के बालक- बालिका शामिल हैं l 2. सीनियर ग्रुप – इस ग्रुप में 14 से 17 आयुवर्ग के बालक- बालिका शामिल हैं l वर्ष 2018 से एक परियोजना में दो बालकों का समूह होता है जिनमें एक ग्रुप लीडर व दूसरा ग्रुप मेम्बर होता है l
परियोजना हेतु शोध का क्षेत्र : – राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस द्वारा प्रत्येक 2 वर्ष हेतु मुख्य विषय एवं उपविषय घोषित किया जाता है l मुख्य विषय एवं उपविषय का चयन कर बालवैज्ञानिक गाइड टीचर के निर्देशन में परियोजना का निर्माण कर उससे सम्बन्धित गतिविधियाँ करते हैं l प्रयोजना प्रस्तुतिकरण समय 8 मिनट निर्धारित है l परियोजना कार्य हेतु निम्न सामग्री की आवश्यकता पड़ती है – 1.फाइल 2.लॉगबुक 3.सर्वे रिपोर्ट 4.पोस्टर (4) l वर्ष 2020 हेतु मुख्य विषय एवं उपविषय की घोषणा शीघ्र होनी है l
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का समय विभाग चक्र : –
*परियोजना चयन के बाद ग्रुप लीडर व ग्रुप मेम्बर का गाइड टीचर द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण – जून/ जुलाई में प्रतिवर्ष NCSC की वेबसाइट पर l
- जिला स्तर पर बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन – प्रतिवर्ष सितम्बर- अक्टूबर तक
- राज्य स्तर पर बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन – प्रतिवर्ष नवम्बर तक
- राष्ट्रीय स्तर पर बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन – प्रतिवर्ष 27 से 31 दिसम्बर तक
जिला स्तर पर चुनी हुई श्रेष्ठ परियोजनाओं को राज्य स्तर पर आमंत्रित किया जाता है l इस प्रकार राज्य में आये प्रतिभागियों में श्रेष्ठतम 30 प्रतिभागी एस्कॉर्ट टीचर के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं l
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में मेरा अनुभव : – 2018 में 26 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भुवनेश्वर (ओडिशा) में 27 से 31 दिसम्बर 2018 तक रा. मोहता बा. उ. मा. विद्यालय, राजगढ़ (चूरू) की छात्रा एवं बालवैज्ञानिक चेतना भारद्वाज ने राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य विषय- ‘स्वच्छ, हरित व स्वस्थ राष्ट्र के लिए विज्ञान तकनीक और नवाचार’ व उपविषय – ‘स्वास्थ्य, स्वच्छता और साफ- सफाई’ विषय पर मेरे मार्गदर्शन में अपना शोधकार्य प्रस्तुत किया एवं राजस्थान
से पधारे बालवैज्ञानिकों से रूबरू होने का मौका मिला l इसके अलावा खाड़ी एवं आसियान देशों बालवैज्ञानिकों से मिलने का
मौका मिला l बालवैज्ञानिकों में विभिन्न संस्कृतियों की झलक देखने को मिली जिनका पहनावा, वेशभूषा, खान-पान एवं
रहन- सहन सब भिन्न था l ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना देखने को मिली l - 2019 में 27 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में बालवैज्ञानिक चंचल ने राज्य स्तर पर झीलों की नगरी उदयपुर में मुख्य विषय- ‘स्वच्छ, हरित व स्वस्थ राष्ट्र के लिए विज्ञान तकनीक और नवाचार’ व उपविषय – ‘कचरे से समृद्धि’ विषय पर मेरे मार्गदर्शन में अपना शोधकार्य प्रस्तुत किया एवं चूरू जिले का प्रतिनिधित्व किया l
कोविड-19 महामारी के चलते 2020 में 28 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन नहीं हुआ । 29 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन वर्चुअल मोड पर हुआ, जिसमें बाल वैज्ञानिक चेतना नाई एवं प्रेरणा शर्मा ने बीकानेर संभाग का मेरे मार्गदर्शन में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया । प्रोजेक्ट का विषय ‘छत पर कृषि’ था । 30 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में गाइडटीचर बालवैज्ञानिकों का अधिक से अधिक रजिस्ट्रेशन करवाएं एवं उनके बालमन में उठ रही जिज्ञासाओं की प्यास को बुझाएं l
गेस्ट ब्लॉगर विमलेश चन्द्र
वरिष्ठ अध्यापक
रा. मोहता बा. उ. मा. विद्यालय, राजगढ़ (चूरू)
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