होली (कविता- रश्मि नामदेव)

Sufi Ki Kalam Se

होली

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है होली,
अच्छाई के प्रतीक,प्रहलाद की याद संग ले आया,

वैर भाव की प्रतीक ,
होलिका जलती रहे,
प्रेम – हर्षोल्लाह का प्रतीक,
प्रहलाद हमेशा विजयी रहे,

फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर आई,होली,
पूर्णिमा के चांद के समान ,
सबके जीवन में ,
सुख -समृद्धि का,
प्रकाश ले आई, होली

रंग-बिरंगे ,रंगों का त्यौहार है, होली
भाईचारे का पैगाम है ,होली
छोटे -बड़े सबके मन को भाए, होली

रंगों के संग सब झूम रहे,
बजा ढोल गली-गली घूम रहे,

आओ फिर से वही होली,
वापस ले आए,
भुला वैर वैमनस्य को,
घर -घर जा सबको रंग लगा आए,
गाने बजाने का वह दौर ,फिर ले आए,
प्रेम का गुलाल लगा,
सबके दिलों को जीत आए ,

आओ मनाए रंग-बिरंगे रंगों की होली,

खेतों में बालियां लहरा रही,
हाथों में गुलाल- गुजिया मुस्कुरा रही,
ठंडाई भी देख- देख इठला रही,

घर -घर डोल रही मतवालों की टोली,
आओ मनाए रंग-बिरंगे रंगों की होली,
भरकर पिचकारी मनचले बच्चों की टोली,
आओ मनाएं होली,

रश्मि नामदेव शारीरिक शिक्षिका एवं सेल्फ डिफेंस मास्टर ट्रेनर जिला- कोटा, राजस्थान


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