कयामते सुगरा
आज8/8/21 को श्योपुर के बाढ़ ग्रस्त इलाके का दौरा किया बमोरी कलां के बाद ही से बाढ़ के असरात नजर आने लगे कही अभी तक खेतो में पानी घुसा हुआ हे तो कही झाड़ झंकार जमा है कही मुरदार पड़े हुए जानवर नजर आए तो कही बड़े बड़े खंबे टूटे हुए मिले खुआंजा पुर की पुलिया पर दस से पंद्रह फुट पानी होने के असरात नजर आए तो कही आधी आधी पुलिया टूटी मिली और जगह जगह से साइड से रोड खिसका हुआ था रास्ते में कई जगह लोग बद हवास नजर आए तो कही पुराने कपड़े लेते हुए और रास्ते में कई जगह अपने भीगे हुए अनाज को सड़क पर सुखाते हुए मिले बड़ौदा और उसके आस पास का नजारा बड़ा दर्द नाक था कहीं कहीं गाडियां फसी हुई भी मिली जो पानी में बह कर आई हुई थी
आगे जैसे ही श्योपुर में दाखिल हुए तो बंजारा डैम के आस पास कई मकानात गिरे हुए मिले और दुकानें खुर्द बुर्द दिखाई दी आगे बढ़ते हुए हम जैसे ही मोती कुंज से दरवाजे में दाखिल हुए तो वहा का मंजर बड़ा ही दर्द नाक था एक तो बुरी तरह से कीचड़ भरा हुआ था दूसरा बदबू और सड़ांध के मारे ठहरना मुश्किल हो रहा था आगे बढ़ कर हम एक साहब के घर गए जो शीतला पाड़ा में रहते है उन से हालात मालूम किए तो उन्होंने बताया उस दिन का मंजर बस कयामत का मंजर था हमारे मकान में भी कमर तक पानी घुस गया था जबकि हमारा मकान काफी ऊंचाई पर है उन की उमर साठ साल के आस पास होगी कह रहे थे जिंदगी में कभी इतना पानी नहीं देखा बड़ौदा में एक साहब मिले थे जिनकी उमर साठ से भी ऊपर है कह रहे थे इतने पानी के बारे में तो दादा जी से लेकर आज तक किसी से नही सुना अल्लाह जाने इतना पानी आया कहां से ज्यादातर लोगो का मानना था आहुदा डैम से पानी निकाला गया है जबकि डैम के जिम्मेदार लोग ये बात कुबूल नही कर रहे है श्योपुर का मंजर कयामत खैज था किया गरीब किया अमीर हर कोई मुतास्सिर था अमीरों का करोड़ों का नुकसान हुआ तो वही गरीबों का सैकड़ों का भी उन के लिए भारी है पुराने शहर में शायद ही कोई मकान ऐसा हो जिस में पानी ना घुसा हो और नई बस्तियों का तो किया कहना वोह तो पूरे तौर पर जल मग्न थी आज उन बस्तियों के लोग अपने तन और बोसीदा मकानों के साथ रह गए सबसे ज्यादा मदद के मुस्तहिक यही लोग है कई इंसानी जाने भी जा चुकी है सही आंकड़े सरकार पेश नही कर रही है जानवरो का तो किया कहना हजारों की तादाद में मर चुके है पेड़ पौधे और फसले पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है
आफत की इस घड़ी में अल्लाह का शुक्र है आस पास के इलाकों से भर पूर मदद पानी उतरते ही पहुंचना शुरू हो गई थी जिन में बारां,मांगरोल,इटावा,सिसवाली,कोटा,सवाई माधोपुर जिले के कई इलाके शामिल है और mp से भी मदद पहुंच रही है खास बात ये है की मिल्लत की हर जमात तंजीम बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है और मिल्लत का हर फर्द अपनी हैसियत से बढ़ कर ताऊ न कर रहा है जो काबिले तहसीन है
बेहर हाल पानी ने वोह कहर बरपा किया जिसकी उम्मीद किसी को नही थी पानी वोह चीज जो इंसान की जिंदगी के लिए लाज़मी है जिसके बगैर इंसानी जिंदगी मुमकिन नहीं जो ना बरसे तो इंसान इसके लिए दुआ करता है लेकिन अल्लाह चाहे तो यही पानी इंसान के लिए मौत बन जाता है और उसकी जिंदगी को अजीरन बना देता है लेकिन इंसान है की फिर भी अपने रब की तरफ नही पलटता अल्लाह पाक ने कुरान में भी पानी के जरये अजाब देने का जिक्र किया है नूह (अलै ०)की पूरी कौम ना फरमानी की पादाश में पानी के ज़रिए हलाक करदी गई
क्या हमारी कौम भी इस तरफ गौर करेगी की वोह किस किस तरह से अल्लाह की नाफरमानी कर रही है?
आखिर में ये बात की काश इन हालात से इंसानियत और हमारी कौम सबक हासिल करे और आइंदा की जिंदगी के बारे में अज्म करे की अपने रब की फरमा बरदारी में गुजारेंगे दुनिया की जिंदगी तो मुख्तसर है गुजर जाएगी हमेशा की जिंदगी आखिरत है उसे बनाने की फिक्र होनी चाहिए
(अख्तर नदवी बारानी)
16 thoughts on “‘कयामते सुगरा’ श्योपुर बाढ़ पीड़ितों की कहानी, अख्तर नदवी की जुबानी”
Comments are closed.