पुस्तक मेले के दूसरे दिन मे विधालयों एवं महाविधालयों के छात्रों समेत आमजन का हुजूम उमड़ा तो दूसरी और साहित्यिक महोत्सव का दूसरे दिन साहित्यिक संवाद एवं साक्षात्कार सत्र के नाम रहा ।
राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा में पांच दिवसीय पुस्तक मेला एवं कोटा साहित्यिक महोत्सव में दूसरे दिन साहित्यिक संवाद कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलन मुख्य अतिथि तरूण मेहरा ) उपवन संरक्षक, कोटा) द्वारा किया गया | प्रथम सत्र में कोटा महानगर की नवोदित लेखिका श्रीमती मेघना मेहरा का साक्षात्कार – भानुकिरण सत्र मे बहुत प्रभावी रहा। उनकी प्रथम पुस्तक पंच सोपान पर आधारित था। साक्षात्कर्ता श्रीमती ममता महक थीं। लेखन का प्रारंभ कैसे हुआ , इस पर मेघना जी ने प्रकाश डाला। पंच सोपान के अंतर्गत परम शक्ति, प्रकृति, नारी, कर्म और आनंद बताए हैं। आपने स्व रचित कविता "मां" का वाचन भी किया। " गर्म तवे पर नरम चपाती सी मां, बिखरा सामान , या बिखरा परिवार, हर पल समेटती सी मां। उलझी _उलझी सी ,फिर भी हर मुश्किल का हल है मां। तन हो या मन की , हर चोट का मरहम है मां। जिसे प्रबुद्ध जनों ने सराहा।"
द्वितीय सत्र मे ” सुनो कहानी ” कहानीकार ममता महक से संवाद मेघना तरूण ने किया।तीसरा सत्र मे ऑफ ट्रेण्डस बुक्स के नाम रहा जिसमे प्रज्ञा गौतम का साक्षात्कार वार्ता में साक्षात्कार प्रोफेसर डॉ रंजन माहेश्वरी ने किया। वही चतुर्थ सत्र मे म्यूजिक मस्ती, बालगीत, कविता, गजल के सत्र मे गीतकार नव्या शर्मा ने ( हारमोनियम) पर, सू श्री गुंजन हाड़ा ( तानपूरा) , होमेश ( बासूंरी वादन किया।इसका संयोजन रेणु सिंह राधे ने किया। पांचवा सत्र मे “हाड़ौती अंचल के प्रबंध काव्य पर एक दृष्टि” पर डॉ वीणा अग्रवाल का साक्षात्कार डॉ आदित्य गुप्ता ने किया। छठवां सत्र मे राजस्थानी गजलों का सोन्दर्य पर गजलों का वाचन वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा रामू भैया का साक्षात्कार देवकी दर्पण ने किया। सातवां सत्र मे राष्ट्रधारा पर ओजस्वी कविता से हेमराज सिंह हेम ने काव्य पाठ से ओजस्वी माहौल बनाया। संचाल योगी राज योगी ने किया।आठवां सत्र मे निबंध और यात्रा वृत्तांत पर कृष्णा कुमारी का साक्षात्कार विजय जोशी ने किया। नवम सत्र मे गीत, गजल और दोहा ( हिन्दी व राजस्थानी भाषा) पर रामनारायण हलधर ने प्रकाश डाला इसका संयोजन वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ने किया, रामेश्वर शर्मा ने कहा कि कविता लिखना आसान नहीं है, " भव शूल का मूल कांटे वह कवि हैं, " रामनारायण हलधर ने कहा कि " हलका हलका बुखार रहता है, जब गजल का शूमार रहता, उसकी गली से जब गुरु, ऐसा लगे जैसे उधार रहता है। " दोहा"जीवन भर हावी पेट और परिवार, वरना कितने लोग थे शिखरों के हकदार। दशकों सत्र में - निबंध और यात्रा वृत्तांत में डाक्टर कृष्णा कुमारी कमसिन ने बताया कि " निबंध में जीवन मूल्य और हमारा सांस्कृतिक परिवेश पर प्रभाव डालते हुए, उसमें वैज्ञानिक और आधुनिक ता समावेश करते हुए अपनी बात कही। कार्यक्रम संयोजक शशि जैन ने अवगत कराया है कि इस आयोजन में तीसरे दिन "कहानी कला एवं समीक्षा कर्म पर विजय जोशी, गीतों की रमझोल पर विश्वामित्र दाधीच, समकालीन भारत पर किशन पता, संचालन के विभिन्न आयाम पर डॉ रेणु श्रीवास्तव, संस्कृत साहित्य की उपादेयता डॉ कपिल गौतम, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी भाषा का योगदान पर डॉ मनीषा शर्मा, बाल कलाकार के विभिन्न आयाम पर डॉ रघुराज सिंह कर्मयोगी, किशन वर्मा के राजस्थानी गीत पर आनन्द हजारी चर्चा करेंगे, महिला काव्य सुधा का भी आयोजन होगा जिसमें आर्यन लेखिका मंच के प्रतिनिधि काव्य पाठ करेंगे। इसका संयोजन रेखा पंचोली करेगी। गजलों का सोन्दर्य पर डॉ कृष्णा कुमारी से बद्री लाल दिव्य और सुनो कहानी में रेखा पंचोली से अनुराधा शर्मा संवाद करेगी। " मिडिया प्रभारी नहुष व्यास ने बताया कि पांच दिवसीय आयोजन से कोटा महानगर में साहित्यिक चेतना का माहौल बना है।
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