कविता अपने समय का दस्तावेज़ , सभ्यता , संस्कृति और व्यापक फ़लक है – निर्मोही
राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा एवं आर्यन लेखिका मंच के संयुक्त तत्वाधान मे दिनांक 21.03.2024 को विश्व कविता दिवस पर एक दिवसीय रचनाकार समारोह का आयोजन किया गया | इस रचनाकार समारोह मे दो सत्रों का आयोजन किया गया जिसमे प्रथम सत्र मे “कवि और कविता का धर्म” विषय पर विमर्श एवं पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया| कार्यक्रम के प्रथम सत्र मे मुख्य अतिथि डॉ कपिल गौत्तम असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत विभाग वर्धमान महावीर खुला विश्वविधालय कोटा , अध्यक्षता प्रोफेसर के.बी.भारतीय पूर्व प्राचार्य उच्च शिक्षा राजस्थान , विशिष्ट अतिथि डॉ प्रभात कुमार सिंघल पूर्व संयुक्त निदेशक जनसम्पर्क विभाग कोटा , रामनारायण मीणा “हलधर” वरिष्ठ गीतकार , गोपाल नामेन्द्र वरिष्ठ साहित्यकार , सत्येंद्र वर्मा वरिष्ठ साहित्यकार , मुख्य वक्ता विजय जोशी वरिष्ठ कथाकार विजय जोशी , कृतिकार जितेंद्र निर्मोही ख्यातनाम साहित्यकार , गेस्ट ऑफ ऑनर अजय पुरषोत्तम वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार , मंच संचालन महेश पंचोली ने किया | इस अवसर पर ख्यातनाम साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही की राजस्थानी मे लिखित पुस्तक –“नूगरी” का हिन्दी अनुवाद “ लाड़ बाई” का लोकार्पण किया गया | इस पुस्तक का अनुवाद पूर्ण शर्मा “पुरण” द्वारा किया गया | इस पुस्तक से राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओ मे प्रश्न भी पुंछे गए हे
प्रोफेसर के .बी. भारतीय ने कहा कि- “कविता किसी की विरासत नही हो सकती वह मनुष्य का समर्थन करती हे और मनुष्य के भीतर के विकारो को मिटाकर उसे उदात्त बनाती हे विश्व को एक परिवार के रूप मे प्रतिष्ठापित करती हे कवि को सदैव निर्लिप्त रहना चाहिए | जाति धर्म संप्रदाय से उठाकर विश्व मनावता के लिए कवि को अपनी कविता सृजित करनी चाहिए यही कवि का धर्म हे “|
डॉ कपिल कुमार गौत्तम ने कहा कि – कवि एवं कविता का आज के समय मे क्या धर्म हे वर्तमान समय मे कवियों एवं साहित्यकारो मे लोकप्रियता एवं चाटुकारिता के लिए हमेशा तत्पर रहना , समाज के लिए एक समस्या बन चुका हे | संस्कृत साहित्य मे काव्य प्रकाशकार मम्मट ने काव्य के छह हेतु बताए हे वह लिखते हे यश के लिए, अर्थ के लिए , व्यवहार के ज्ञान के लिए , अमंगल के नाश के लिए , कांता सम्मित उपदेश के लिए एवं मुक्ति के लिए कविता की जाती हे | कवि और कविता का धर्म व्यक्ति समाज एवं राष्ट्र को उन्नत एवं मार्गदर्शन प्रदान करना हे | आधुनिकता एवं पारंपरिकता का समावेश कर भारत के समाज को उन्नत बनाना कवि का धर्म होना चाहिए |
सत्येंद्र वर्मा ने कहा कि – जब सहज सामान्य भाव बोध की बात होती हे तो गद्य की बात होती हे और जब रसात्मक बोध की बात होती हे तो कविता का नाम आता हे |
नामेन्द्र जी ने कहा कि – कवि और काव्य के अक्षर को इसी भाव से ब्रह्म कहा गया हे , यही विशेषता कवि और साहित्यकार को क्रांति धर्मा बनाती हे और यही विशेषता कवि को सुखो की चाह छोड़ देने के बात करती हे | इस सत्र मे बाल कलाकार नव्या शर्मा द्वारा भगवान श्री कृष्ण – अर्जुन संवाद (गीता उपदेश ) एवं उन्नति मिश्रा द्वारा प्रकृति पर काव्य पाठ प्रस्तुत किया गया | दृष्टिबाधित पाठक डॉ राजेश गौतम द्वारा दृस्टिबाधितों पर काव्य प्रस्तुत किया गया | द्वितीय सत्र काव्यांजली मे मुख्य अतिथि डॉ रीना दाधीच प्रोफेसर कोटा विश्वविधालय कोटा , अध्यक्षता डॉ अतुल चतुर्वेदी वरिष्ठ साहित्यकार एवं अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी , विशिष्ट अतिथि विष्णु “हरिहर” वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रांतीय अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद , रामेश्वर शर्मा “रामू भैया” , लेखक सम्मान जितेंद्र निर्मोही ख्यातनाम साहित्यकार एवं मंच संचालन रेखा पंचोली ने किया | इस अवसर पर आर्यन लेखिका मंच की और से नवगठित कार्यकारिणी सदस्यो को शपथ दिलाई गई | काव्य पाठ करने वालो मे रेखा पंचोलरी , अपर्णा पाण्डेय , श्यामा शर्मा , प्रज्ञा गौत्तम , साधना शर्मा , डॉ युगल शर्मा , प्रतिभा , साधना शर्मा , दीप्ति जी , डॉ शशि जैन ने काव्य पाठ किया | बाल कवियत्री नव्या शर्मा एवं उन्नति को शक्ति मेडल देकर सम्मानित किया गया |
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