“भाग- 14 “प्लास्टिक/एल्युमिनियम बर्तनों से बिगड़ती सेहत” “आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर

Sufi Ki Kalam Se

सूफ़ी की क़लम से…✍🏻
“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “
भाग- 14 “प्लास्टिक/एल्युमिनियम बर्तनों से बिगड़ती सेहत”

मिट्टी और अन्य धातुओं से बने बर्तनों के फायदे तो हम जानते ही है लेकिन अगर प्लास्टिक और एल्युमीनियम वाले बर्तनों से होने वाले नुक़सान के बारें में पता ना हो तो जान लीजिए क्यूँकि आजकल घरों और होटलों में इनका ही इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है । प्लास्टिक और एल्युमीनियम के बर्तन,अन्य धातुओ के बर्तनों की तुलना में सस्ते और उपयोग में आसान होते है इसलिए हर जगह सिर्फ़ यही बर्तन ज़्यादा मात्रा में मिलते हैं ।
प्लास्टिक बर्तन:-
प्लास्टिक बर्तनों के इस्तेमाल से खाने पीने की चीज़ों में प्लास्टिक के रसायन भोजन में मिल सकते हैं, जिससे कैंसर, हार्मोनल असंतुलन और अन्य बीमारियां हो सकती हैं।अगर प्लास्टिक बर्तन प्रयोग भी करते हैं तो BPA-फ्री और फूड-ग्रेड प्लास्टिक का उपयोग करें जिनमे भी गर्मागर्म खाना परोसने से बचे । प्लास्टिक के बर्तन ना सिर्फ़ मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं बल्कि प्रयावरण के लिए बहुत घातक हैं क्योंकि यह बायोडिग्रेडेबल नहीं है, जिससे यह पर्यावरण प्रदूषण का बड़ा कारण है। छोटी होटल हो या फाइव स्टार, शादी समारोह हो या धार्मिक आयोजन, पानी के डिस्पोजल से लेकर खाना परोसने तक के ज्यादातर बर्तन प्लास्टिक के होते हैं जो काम और खर्चे को तो संतुलित कर सकते हैं लेकिन ध्यान रखें ये हमारे शरीर को असंतुलित कर देते हैं ।

एल्युमिनियम के बर्तन:-
एल्युमिनियम के बर्तन सस्ते और किफायती होने के साथ ही जंग विरोधी होते हैं जिनमे खाना जल्दी और अच्छे से बन जाता है लेकिन जितने इसके फायदे हैं उससे कहीं ज़्यादा नुक़सान भी हैं। एल्युमीनियम के बर्तनों में खट्टे पदार्थ (जैसे टमाटर, नींबू, या दही) पकाने पर एल्युमिनियम के बर्तन रासायनिक प्रतिक्रिया कर सकते हैं, जिससे ये धातु खाने में घुल सकती है और इसका हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। लंबे समय तक एल्युमिनियम के संपर्क में रहने से शरीर में इसकी मात्रा बढ़ सकती है। जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है क्यूंकि इससे अल्जाइमर और अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है ।
ऐसे में जिस आधुनिक रास्ते पर चलकर हमने इनको अपनाया है उसी तरह इन्हें छोड़ने या सीमित प्रयोग कर पुराने दौर के लोगों के तरीके पर लौटना ही बेहतर होगा । बरतनों के मामले में प्लास्टिक और एल्युमिनियम का आविष्कार मानवहित में आसानी पैदा तो कर सकता है लेकिन मानव स्वास्थ्य के लिए काफ़ी ख़तरनाक है इसलिए कोशिश करें कि मजबूरी में ही इनका प्रयोग करें और जहाँ तक संभव हो इनसे दूरी बनाएं रखें ताकि स्वास्थ्य स्तर को काफ़ी हद तक नियंत्रित किया जा सके ।
मिलते हैं अगले भाग में ।
आपका सूफी
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4 thoughts on ““भाग- 14 “प्लास्टिक/एल्युमिनियम बर्तनों से बिगड़ती सेहत” “आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर

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