“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “ भाग- 4 “फल”

Sufi Ki Kalam Se

सूफ़ी की क़लम से…✍🏻
“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “
भाग- 4 “फल”

गर्मी हो या बरसात या फिर कड़कड़ाती सर्दी क्यों न हो । खुदा ने हर मौसम के लिए अलग अलग फलों से हमारे शरीर के लिए स्वादिष्ट और पौष्टिक फलों का इंतज़ाम किया है । फलों का मामला भी सब्जियों जैसा ही है जो हम भाग तीन में पढ़ चुके हैं लेकिन फल उगाना सब्जियों जितना आसान नहीं है लेकिन इतना मुश्किल भी नहीं है ।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आजकल के फलों में भी वो स्वाद नहीं है जो पहले हुआ करता था । अगर आपने साल 2000 के पहले तक के फल खाए होंगे तो आप आसानी से आजकल के फलों में अंतर बता सकते हो । मिसाल के तौर पर केले ही ले लीजिए जिनका स्वाद एक सदी पहले तक ऐसा हुआ करता था की एक व्यक्ति दर्जनों केले खा सकता था क्यूंकि उनका स्वाद और गुण दोनों काफ़ी अच्छे होते थे । अगर आपने भी उस जमाने के केले या कोई सा भी फल खाया हो तो कमेंट करके ज़रूर बताए की आपको क्या अंतर लगा उस जमाने के फलों और सब्जियों में । आजकल के केले या कोई सा भी फल ले लीजिए उसे हम केवल सीमित मात्रा में ही सेवन कर सकते हैं क्योंकि ना तो उनमें उनका वास्तविक स्वाद है और ना ही गुण तो इन सब फलों का भी वास्तविक स्वाद और गुण चाहिए तो हमे उसी पद्धति पर फल उगाने चाहिए या फिर जो उगाते है उनसे खरीदना चाहिए ।

घर पर पेड़ लगाएं:-
हर साल पेड़ लगाने का अभियान चलाया जाता है और लोग उमड़ उमड़ कर नर्सरियों पर जाते है और कई तरह के पौधे खरीदकर ,हर तरफ़ लगा देते हैं और तस्वीरे लेकर सोशल मीडिया पर ऐसे अपलोड करते हैं जैसे दुनियाँ में जितनी हरियाली हो रही हैं सब उन्ही की देन हैं । जबकि सच्चाई यह हैं की जितने पौधे हर वर्ष इन अभियानों में लगाए जाते हैं उनमे से पाँच फ़ीसदी भी कामयाब नहीं होते हैं क्यूंकि वो पौधे सिर्फ़ एक दिन की सेल्फी वाले होते हैं तो फिर हम किस तरह अच्छे फल और छाया की अपेक्षा कर सकते हैं? बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय!
हमें इस पचड़े से बाहर आना होगा और हमारे बुजुर्गों की तरह बिना लोभ लालच के ना सिर्फ़ पौधे लगाने होंगे बल्कि उन्हें पेड़ बनने तक देखभाल भी करनी होगी तब जाकर हमे उसका फल मिलेगा । आने वाले बरसात के मौसम में कोशिश करें कि पौधे भले ही एक दो ही लगाएं लेकिन उनकी देखभाल अच्छे से करें और कोशिश करें कि छाया के साथ फल वाले पौधे भी लगाएं ताकि आपको बिना दवाई वाले अच्छे फल मिल सकें ।

बाज़ार से कैसे फल खरीदे :-
बाजार से फलों को ख़रीदने में भी वही सावधानी बरतनी चाहिए जो सब्जियाँ ख़रीदते समय बरतते हैं । ज़्यादा चमक दमक वाले फलों से दूरी बनाए रखें जैसे हम चमकदार पपीते के पीछे भागते हैं जो दिखने में किताब की तस्वीरो जैसा दिखता है लेकिन ध्यान रखें कि उसकी चमक प्राकृतिक नहीं होती है बल्कि कई तरह के केमिकलों का असर होता है । अगर आपको प्राकृतिक पपीता चाहिए तो वो काफ़ी हल्के रंग का होगा जो अलग ही दिख जाएगा जो हमें बिल्कुल भी अपनी तरफ़ आकर्षित नहीं करेगा लेकिन वही हमारे लिए उचित होगा । इसी तरह हर फलों की ख़रीददारी करें और ज़्यादा से ज़्यादा देशी फलों को बढ़ावा दे ।

सीजनेबल(मौसमी)फल ख़रीदे:-
आपने देखा होगा कि बाजार में सभी फल उनके मौसम के पहले से ही उपलब्ध होने लगते हैं ख़ास तौर पर शहरों में कई महीने पहले ही फल उपलब्ध होने लगते है और ज्यादतर शहरवासी उन फलों को ख़रीदकर अपने आपको आधुनिक और पैसे वाले समझने लगते हैं । कई बार देखा गया है कि ऐसे लोग, ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर, अकड़ते हुए कहते है की यहाँ तो अभी तक गाजर भी नहीं पहुँची है और हम तो एक दो बार हलवा बनाकर भी खा चुके है । और कई ग्रामीण शहर जाकर सीजन से पहले के फलों को लाकर, अपने आपको जागरूक समझते हैं जबकि उन्हें ये नहीं मालूम की ये फल हाइब्रिड फल होते हैं जिनका देशी जितना महत्व नहीं होता है । सीजन से पहले आए फलों में ना वो स्वाद होता है और ना ही सम्पूर्ण गुण, उपर से महंगे अलग होते हैं । महंगे के साथ साथ कई फलों की तासीर बिलकुल अलग होती है तो उन्हें मोसम के विपरीत समय में खाने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है जैसे तरबूज आदि कई ठंडे फल सर्दियों में भी उपलब्ध होते हैं लेकिन उन्हें ठंडे मौसम में खाना किसी भी तरह उचित नहीं है। इसलिए बिना मौसम वाले फलों को खरीदने में उतना फायदा नहीं है जो सीजनेबल (मौसमी) फल खाने में होता है तो कोशिश करें कि सीजनेबल फलों का सेवन करें जो ना सिर्फ सस्ते होंगे बल्कि अधिक गुणवत्तापूर्ण भी होंगे।
मिलते हैं अगले भाग में ।
आपका सूफी

उम्मीद करते हैं आपको ये सीरीज पसंद आ रही होगी ,अगर कोई शिकायत या सुझाव हो तो ज़रूर बताए । साथ ही इसे अपने मिलने जुलने वालों तक भी पहुंचाएं और इस मुहिम (अभियान) का हिस्सा बनाये ।

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