“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  भाग- 6 “दिनचर्या”

Sufi Ki Kalam Se

सूफ़ी की क़लम से…✍🏻

“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

भाग- 6 “दिनचर्या”

Early to bed and early to rise makes a man healthy, wealthy, and wise.”

(समय पर सोना और जागना मनुष्य को स्वस्थ, धनवान और बुद्धिमान बनाता है।)

बचपन से हम ये कहावते सुनते आए हैं और कुछ समय पहले तक ज्यादतर लोग इन्हें फॉलो भी करते थे लेकिन जैसे जैसे हम उन्नति करते गए वैसे वैसे हम पर काम का बोझ भी बढ़ता गया । अगर आप भी इस ग़लतफ़हमी में हो मशीनों के आने से इंसान का काम आसान हो गया है तो आपको भी अपनी ग़लतफ़हमी दूर करने की ज़रूरत है । निसंदेह मशीनों के आने से घंटो का काम मिनिटो में हो रहा है लेकिन फिर भी इंसानों पर काम का भार कम होने की जगह बढ़ ही रहा है । मशीनों के आने से काम अगर आसान हुआ है तो पहले की तुलना में काम की संख्या में भी इज़ाफ़ा हुआ है जिसकी वजह से इंसान पहले से भी ज़्यादा व्यस्त हो चुका है । काम के बढ़ते दबाव के चलते इंसानों ने अपनी पूरी दिनचर्या बिगाड कर रख दी हैं । देर रात तक काम करके सोना , फिर देर तक ही उठना इंसानों की रोजाना की दिनचर्या बन चुका है । 

ये समस्या केवल कामगार लोगों तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब तो ये राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है ।कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी हो या स्कूली बच्चे, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहें अभ्यर्थी हो या नौकरीपेशा लोग, सब के सब एक जैसी दिनचर्या के शिकार हो चुके हैं । सुबह देर से उठते हैं और जल्दबाजी में तैयार होकर अपने अपने कामों में लग जाते हैं ।इस दौरान , नमाज़/प्रार्थना, नाश्ता और व्यायाम जैसी दिन की सबसे जरूरी चीज़े छूट जाती है। उसके बाद काम का इतना दबाव होता है कि दोपहर का भोजन भी ठीक से नहीं हो पाता है और देर शाम तक काम करके घर लौटते हैं । घर लौटकर भी खाने पीने की जगह मोबाइल का नॉनस्टॉप इस्तेमाल होता है जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सब शामिल हो चुके हैं । फिर आता है रात का खाना जिसे हमने देर रात का खाना बना दिया है और ज्यादतर लोग रात आठ बजे बाद ही भोजन करते हैं और उसके बाद फिर से मोबाइल/लैपटॉप के ऐसे चिपकते हैं , जब तक आँखे आपस में ना चिपकने लग जाए तब तक नहीं छोड़ते हैं । पढ़ने वाले बच्चे पढ़ाई ख़त्म करके सीधे सोने की जगह मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं और यही उनकी रोज़मर्रा जिंदगी का हिस्सा बन चुका होता है । इसके अलावा लेट नाईट पार्टीज़ भी लगभग सभी वर्गों का हिस्सा बन चुका हैं जो कुछ समय पहले तक उच्च वर्ग तक सीमित थी लेकिन अब मध्यम और निम्न वर्ग तक के लोग इसका शिकार हो चुके हैं जो देर रात तक पार्टीज करते हैं और शरीर को हानि पहुँचाने वाले भोजन आदि करते हैं ।

स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है”

अब सबसे ऊपर की और ये कहावत देखिए 👆 और समझिए कि क्या आज की दिनचर्या में ये दोनों कहावतें कहीं दिखाई देती हैं ? अगर नहीं तो फिर हमें बिना  तर्क वितर्क किए पुरानी सदी में लौटना होगा और अपनी दिनचर्या सुधारते हुए अपने गिरते स्वास्थ्य स्तर को उपर उठाना होगा अन्यथा जितनी सी जिंदगी हमें मिली हैं हम उसका भी आनंद नहीं ले पाएंगे । इसलिए आयें, चलें, उल्टे क़दम और फिर से सूर्योदय से पहले उठे, अपने खुदा को याद करें, अपने लिए एक घंटा निकाल कर व्यायाम करें, और हेल्थी नाश्ता करते हुए दिन की शुरुआत करें । ऐसा करने से पूरी दिनचर्या स्वतः ही सुधरने लगेगी, बस हमें खानपान के नियमों का सही तरीक़े से पालन करना होगा । पूरे दिन भले ही कम खाना खाए लेकिन पौष्टिक खाए ।

मिलते हैं अगले भाग में

आपका सूफी 

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