उर्दु वाले अब तालियां बजा कर दूसरे विषय वालों की होंसला अफजाई करेंगे
फर्स्ट ग्रेड भर्ती में उर्दू के पद नहीं आने पर प्राण खान उर्फ जीव खान का व्यंग्य
सुबह के वक्त खामोशी के साथ, मुँह लटका कर अखबार पढ़ रहा था। सामने फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती का इश्तिहार छपा था जिसे मायूसी के साथ पढ़ रहा था। पिछले पांच छ सालो से उर्दू विषय के व्याख्याता भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहा था लेकिन इतने इंतजार के बाद भी 6000 शिक्षको की भर्ती में सिर्फ 40 पद उर्दू के लिए दिए, जो ऊँट के मुँह में जीरा था। मेरी नजरो के सामने भर्ती का विज्ञापन देखकर प्राण खान समझ गए और चुटकी लेते हुए बोला, ” आपकी तैयारी तो जोरों पर चल रही होगी फर्स्ट ग्रेड की? सुना है पूरी 40 सीट आई है उर्दू विषय की ही ई ईईई… (निची गर्दन कर प्राण खान बेशर्मी वाली हंसी से मेरी मज़ाक बनाते हुए कहने लगे)
‘देखो प्राण खान जी, बात ऐसी है कि इस तरह मज़ाक बनाना ठीक बात नहीं है। एक तो पहले ही सर दर्द हो रहा है, ऊपर से आप सांत्वना देने की जगह ताने मार रहे हैं “
” आप भी बड़े जल्दी नाराज हो जाते हो सूफ़ी साहब! मैं मज़ाक कम सीटें आई उसका नहीं बना रहा हूं बल्कि जो आप, इस सरकार की खूबियों के दावे करते थे उस पर हँस रहा हूं। आप ही तो कहते थे कि देखना इस बार उर्दू विषय की 1000 सीट आएगी कम से कम और मैं व्याख्याता बन जाऊँगा..
“हाँ तो क्या आए दिन ख़बरें नहीं आती थी क्या, उर्दू के इतने पद खाली, लगभग 1000 पदों पर उर्दू शिक्षक भर्ती की संभावना वगैरह वगैरह। मैंने अपनी पूर्व बात का बचाव करते हुए जवाब दिया।
“हाँ तो अब बताये! कि मज़ाक कौन बना रहा है आपका? मैं बना रहा हूं या आपकी चहेती सरकार बना रही है , जिसे आप लोगों ने बड़े लाड़ प्यार से वोट देकर चुना था?”
प्राण खान ने फिर से दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा।
“इस सरकार से तो ऐसी उम्मीद नहीं थी प्राण खान जी , पिछली बार की वसुंधरा सरकार के समय भी उर्दू की एक सीट नहीं थी तो सोचा कि गहलोत सरकार हम उर्दू वालों का भला करेगी। यही सोचकर इन्हें चुना था , अब इन दोनों पार्टियों के अलावा और विश्वास करे तो किस पर करे?”
मैंने अपनी मजबूरी का रोना रोते हुए धीरे से जवाब दिया।
” कोई बात नहीं अब आप तालियां बजाकर दूसरे विषय से तैयारी करने वालों की होंसला अफजाई करना और अगले साल के चुनावों में फिर इसी उम्मीद से इसी सरकार को वोट दे देना “
प्राण खान ने फिर से करारा हमला बोला।
क्यों मजे ले रहे हो प्राण खान जी, क्या आपको लगता है कि इतना होने के बाद भी हम इन्हें वोट देंगे?”
“तो आप और हम और कर भी क्या सकते है, हमारे पास इन दोनों सरकारों के सिवा विकल्प ही क्या है?”
इस बार प्राण खान ने अपनी बेबसी भी जाहिर करते हुए जवाब दिया।
फिर हम दोनों फिर से चुपचाप होकर अखबार में डूब गए।
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फर्स्ट ग्रेड भर्ती में उर्दू के पद नहीं आने पर प्राण खान उर्फ जीव खान का व्यंग्य”
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