पुष्पा साला
झुकेगा नहीं
और कलेक्शन रुकेगा नहीं (फिल्म समीक्षा)

Sufi Ki Kalam Se

पुष्पा साला
झुकेगा नहीं
और कलेक्शन रुकेगा नहीं

देश में आजकल पुष्पा का जादू सर चढ़कर बोल रहा है। जितनी प्रशंसा फिल्म की कहानी की हो रही है उससे कई ज्यादा चर्चे इसके गानों और पुष्पा के अभिनय के हो रहे हैं। फ़िल्मकार ने पुष्पा के नायक को विकलांग के रूप में दिखाया है जो उसके कभी नहीं झुकने वाले संवाद में एकदम फिट बैठती है। फ़िल्मकार ने कभी नहीं सोचा होगा कि दर्शक नायक की विकलांगता को भी इतनी गंभीरता से लेंगे और फिल्म को बुलंदियों तक पहुंचा देंगे।
तेरी झलक अशर्फी गाने की धूम ना सिर्फ भारत में है बल्कि पूरी दुनिया इस गीत पर थिरक रही है। फिल्म पुष्पा में नायक अल्लू अर्जुन (पुष्पाराज) मुख्य भूमिका में हैं लेकिन हैरत की बात है कि नायक खलनायक की भूमिका निभाते हुए भी फिल्म का नायक है , इतना ही नहीं नायक विकलांग होकर भी जो एक्शन करता है वह केवल साउथ की फ़िल्मों में ही सम्भव हो सकती है।
फिल्म की कहानी –
फिल्म की कहानी चंदन की लकड़ियों को तस्करी पर आधारित है। दक्षिण भारत के शेषांचल जिले के जंगलों में बहुमूल्य चंदन की लकड़ियों को तस्कर, गैरकानूनी तरीके से काटते और बेचते हैं। पुष्पाराज नामक एक मजदूर जो 100 रुपये रोज की मजदूरी पर जाता है उसकी आर्थिक तंगी से परेशान होकर 1000 रुपये रोजाना वाली लकड़ियों की तस्करी में शामिल हो जाता है। देखते ही देखते पुष्पा बड़े बड़े तस्करों को पीछे छोड़ते हुए स्वयं बड़ा तस्कर बन जाता है। इसी तस्करी के दौरान श्रीवल्ली (रश्मिका मंदान) के साथ पुष्पा का प्रेमप्रसंग भी परवान चढ़ता है। हालाँकि ये प्रेम-कहानी नहीं भी होती तब भी फिल्म की कहानी पर कोई खास असर नहीं होता लेकिन दर्शक तेरी झलक अशर्फी जैसे गीत और नायिका के उत्तेजित करने वाले दृश्य देखने से वंचित रह जाते। पुष्पा और श्रीवल्ली की प्रेम-कहानी बॉलीवुड जैसी दमदार तो नहीं है लेकिन फिल्म को आगे बढाने के लिए पर्याप्त है जो इस फिल्म की एक छोटी सी कमी कहीं जा सकती है। फिल्म की पूरी शक्ति धीरे धीरे फिल्म के नायक पुष्पा पर आधारित हो जाती है यानी वो जो चाहे कर सकता था, उसका मुकाबला करने वाला कोई नहीं था लेकिन तब ही एक पुलिस अधिकारी भंवर सिंह शेखावत एंट्री करके पुष्पा की अकड़ निकाल देते हैं। हालांकि फिल्म के आखिरी दृश्य में पुष्पा पुलिस अधिकारी शेखावत को नंगा तो कर देता है लेकिन शेखावत की आँखों के अंगारे फिल्म को दूसरे पार्ट पर ले जाने का इशारा दे देते हैं। अगर इस फिल्म का अंत बाहुबली जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म जैसा करते तो दर्शकों को और बेसब्री से इसका इंतजार होता।
खतरनाक मारकाट और साधारण सी प्रेम कहानी, नायक की विकलांगता और फिल्म के डाइलॉग ” झुकेगा नहीं साला और पुष्पा फूल नहीं, फायर है ‘ ने फिल्म को ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है। पुष्पा का कलेक्शन कोरोना काल में इंडस्ट्री के लिए एक वरदान कहा जा सकता है। फिल्म का नायक दाढ़ी के नीचे हाथ सरका कर झुकने का नाम नहीं ले रहा है और कलेक्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

नासिर शाह (सूफ़ी)


Sufi Ki Kalam Se

27 thoughts on “पुष्पा साला
झुकेगा नहीं
और कलेक्शन रुकेगा नहीं (फिल्म समीक्षा)

  1. Pingback: bonanza178
  2. Pingback: Bk8
  3. Pingback: site
  4. Pingback: beste borsten
  5. Pingback: blote tieten
  6. Pingback: คายัค
  7. Pingback: sunwin
  8. Pingback: safe eft hack
  9. Pingback: Herbalife
  10. Pingback: have a peek here
  11. Pingback: nagatop situs scam
  12. Pingback: Lisa
  13. Pingback: นิยาย

Comments are closed.

error: Content is protected !!