भारतीय भाषा उत्सव की शृंखला मे “भारतीय भाषाओं की सृष्टि और उनका ऐतिहासिक महत्व” विषय पर पुस्तक प्रदर्शनी |
राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा मे भारतीय भाषा उत्सव की शृंखला मे “भारतीय भाषाओं की सृष्टि और उनका ऐतिहासिक महत्व” विषय पर पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसका उदघाटन मुख्य अतिथि डॉ अजय कुलकर्णी नाक कान गला एवं केंसर रोग विशेषज्ञ ने किया | पुस्तक प्रदर्शनी का संयोजन डबली कुमारी परामर्शदाता, समन्वय डॉ शशि जैन सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष एवं मुख्य डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय कोटा के निर्देशन मे किया गया |
इस पुस्तक प्रदर्शनी मे “भारतीय भाषाओं की सृष्टि और उनका ऐतिहासिक महत्व” से संबन्धित 100 से अधिक पुस्तकों का प्रदर्शन किया गया जिनमे “भारतीय भाषा विज्ञान: एक परिचय” – राजेंद्र यादव, “भारतीय भाषा संस्कृति: इतिहास और समस्याएँ” – ज्ञानेश्वर अग्रवाल, “भाषाएँ और समाज: भारतीय साहित्य में भाषाओं का स्थान” – श्रीकांत विष्णु, “भारतीय भाषाओं का विकास और राजनीति” – अशोक आचार्य, “भारतीय भाषा और साहित्य: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण” – रविशंकर शुक्ल इत्यादि की पुस्तके प्रमुख है | पुस्तक प्रदर्शनी के उदघाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ अजय कुलकर्णी ने कहा की ये पुस्तकें भारतीय भाषाओं के विकास, उनका ऐतिहासिक महत्व और साहित्यिक संरचना के पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करती हैं। इन्हें पढ़कर भारतीय भाषाओं के समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर के प्रति आपकी जागरूकता बढ़ सकती है।
डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा की हिंदी भाषा पर पुस्तकों की प्रदर्शनी की कुछ पुस्तके – जैसे “हिंदी भाषा: इतिहास और समस्याएँ” – अमृत रै, “हिंदी के प्रेरणास्त्रोत: भाषा की उत्थान और पतन की कहानी” – वीरभद्र सिंह, “हिंदी साहित्य का इतिहास” -दायानंद वत्स्यायन, “हिंदी भाषा का विकास और उसका आधुनिक स्वरूप” – नागेश गुप्ता, “हिंदी साहित्य का युग-युगांतर” – रामचंद्र शुक्ल इत्यादि ये पुस्तकें हिंदी भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक विकास के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से विवेचित करती हैं। इन्हें पढ़कर आपको हिंदी भाषा और साहित्य के महत्वपूर्ण विकासों और उनके सम्बंधित विषयों के बारे में गहरा ज्ञान होगा।
डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष ने कहा की भाषा से संबंधित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाने के पीछे युवाओं को भाषा शिक्षण और विकास, सांस्कृतिक और साहित्य का अध्ययन,विदेशी भाषाओं की शिक्षा, व्यक्तिगत विकास और समृद्धि, सामाजिक समृद्धि और व्यवसायिक उद्यमिता, राजभाषा अधिनियम और कानून एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध विदेशी भाषाओं के ज्ञान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समझने और संवेदनशील होने में मदद करता है | “भारतीय भाषाओं की सृष्टि और उनका ऐतिहासिक महत्व” पर पुस्तक प्रदर्शनी का मकसद भारतीय भाषाओं के विकास का इतिहास और उनका संरचना दिखाना, भारतीय सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहर में भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकट करना,भाषाओं के उत्थान और पतन के कारणों का विश्लेषण करना, भाषाओं के विभिन्न रूपों और उनके उपयोगों का परिचय करना, भारतीय भाषाओं का आधुनिक समय में उनका स्थान और उनके विकास के तरीकों का वर्णन करना, भाषाओं के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों, लेखकों और साहित्यकारों के बारे में जानकारी प्रदान करना, भाषाओं के सांस्कृतिक संबंधों को उजागर करना और उनके उपयोग के क्षेत्रों का परिचय करवाना है| इस पुस्तक प्रदर्शनी मे पाठक रक्षिता , लक्ष्मी , ईशिका ,नेहा तंजीम सागर , अनामिका वर्मा , कोमल कनवासिया , चिंटू चंपावत , योगेश , विष्णु सुथार, बलराम, लखन प्रजापति, सुरेन्द्र सैनी , जयंत, मुंगेरी लाल मीणा कौस्तुभ , दिलखुश एव जीत मीणा ने अपने विचार व्यक्त किए | कार्यक्रम संयोजिका शशि जैन ने कहा कि – भारतीय भाषाओ की पुस्तक प्रदर्शनी से भाषायी महत्तव की भावना का विकास होगा | पुस्तक प्रदर्शनी का प्रबंधन रोहित नामा , अजय सक्सेना एवं शोधार्थ्री मधुसूदन चौधरी ने किया |


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