शब ए क़द्र की रातें आज से शूरू आइए! तलाशें वो अजीमुस्शान रात..

Sufi Ki Kalam Se

सूफ़ी की क़लम से …✍🏻
शब ए क़द्र की रातें आज से शूरू
आइए! तलाशें वो अजीमुस्शान रात..

रमज़ान की ताक रातों का ऐसे करें ऐहतमाम
सिर्फ़ एक घंटे की इबादत भी आपको नेकियों से कर देगी मालामाल!


रमज़ान के बीस रोज़े गुजरने के साथ ही रोज़ेदारों की मशरूफ़ियात भी काफ़ी बढ़ गई है । कोई शॉपिंग को जा रहा है तो कोई घर की साफ़ सफ़ाई में लगा हुआ है। अब हर किसी को सिर्फ़ ईद और शब ए कद्र जैसी अज़ीम रात का इंतज़ार है जिसमें ईद का दिन तो चाँद से पता चल जाएगा लेकिन ‘शब ए कद्र” का कैसे पता चलेगा ?
इस बात को तो हर कोई समझता होगा कि ‘शब ए कद्र” कि रात की क्या अहमियत होती है ! लेकिन इस बात को समझने वाले भी ज़्यादातर लोग केवल 27 वीं रात को ही ‘शब ए कद्र” मानकर जितनी ज़्यादा इबादत हो सकती है उसी रात करते है जो करना भी चाहिए क्योंकि 27 वीं रात भी उन्हीं पाँच ताक रातों में से से एक है और इस दिन शब ए कद्र होने का सबसे ज़्यादा अनुमान लगाया जाता है लेकिन यहाँ थोड़ी सी बारीक बात समझने की ज़रूरत है और वो ये है कि 27 वीं रात को ‘शब ए कद्र मानना केवल एक अनुमान है , पुख़्ता जानकारी नहीं ।ऐसे में हमें वो हदीस याद रखना चाहिए जिसमें साफ़ तौर पर कहा गया है कि ‘शब ए कद्र” को रमज़ान के आख़िरी अशरे की पाँच ताक रातों में तलाश करो ,जो हज़ार रातों से अफ़ज़ल है । जिसे वो रात मिल गई यानी जिसने उस रात थोड़ी भी इबादत की , उसे उसका कई गुना सवाब मिलेगा और जिसने पूरी रात इबादत की वो तो अपनी नेकियों का हिसाब भी नहीं सकता इतनी नेकियाँ उसकी झोली में डाल दी जाएगी ।
2025 की ताक रातें कौनसी है –

पहली ताक रात (21 वें रमज़ान की रात)- (21/03/2025) ज़ुमें की रात , मगरिब से फ़ज़र तक ।

दूसरी ताक रात (23 वें रमज़ान की रात) – (23/3/25) इतवार रात,मगरिब से फ़ज़र तक ।

तीसरी ताक रात (25 वें रमज़ान की रात)- (25/3/2025) मंगलवार रात ,मगरिब से फ़ज़र तक ।

चौथी ताक रात – (27 वें रमज़ान की रात) (27/03/25) जुमेरात ,मगरिब से फ़ज़र तक ।

पाँचवीं ताक रात – (29 वें रमज़ान की रात) (29/3/2025) शनिवार रात,मगरिब से फ़ज़र तक ।

अब आप सोच रहे कि यह तो सबको मालूम है कि ये पाँच ताक रातें होती है और इनमें से एक ‘शब ए कद्र” होती है लेकिन मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों और प्यारी बहनों ! हमें ये मालूम है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि हम इन पाँचो रातों का ऐहतमाम नहीं करते सिवाय कुछ लोगो को छोड़कर और जो करते है उनमें भी कई कई तो ऐसे है जो इन रातों में जागने को ही इबादत समझते है और सारी रात बाज़ारो में घूमकर या मोज़ मस्ती करने को इबादत करने का नाम तक दे देते है । शहरों में इस तरह का क्रेज़ ज़्यादा बढ़ता जा रहा है । ज़्यादातर लोग एक रात को ही शब ए कद्र मान लेते है और बाक़ी रातें आम रातों की तरह ही गुजार देते है ।
यह आर्टिकल लिखने का मक़सद सिर्फ़ यही है कि हम सिर्फ़ एक रात (27 वीं) ही इबादत ना करके पूरी पाँच रातों का ऐहतराम करें और तरीक़े से करें , ताकि हम सब को वो रात मिल ही जाये जो पूरे साल में केवल एक ही दिन मिलती है और हज़ार रातों का सवाब देकर जाती है । वैसे तो इन सभी ताक रातों में जितनी इबादत की जाये उतनी करनी चाहिए लेकिन अगर सब इंसान , पाँचो रातें पूरी तरह जागकर नहीं गुज़ार सकते तो कम से एक से दो घंटे तो इबादत कर ही सकते है जिससे वो अज़ीम रात हमें मिल जाये ।

किस तरह पा सकते है ‘शब ए कद्र” का सवाब –

कोशिश करें कि इन पाँच रातों के अगले दिन अपने अपने कामों से आधे या पूरी दिन की छुट्टी करें और पाँचों रातों में दिल खोलकर इबादत करें । जिनसे इतना ना हो सके, वह कम से कम तरावीह के बाद एक से दो घंटे इबादत ज़रूर करें । आपकी आसानी के लिए दीन के जानकारों से कुछ जानकारी जुटाई है जो हम सब के काम आ सकती है और हम हर रात कुछ देर जागकर भी शब ए कद्र पा सकते है इसलिए इन पाँचों रातों में कम से कम इतना तो ज़रूर करें –

1- पाँचों रातों में मग़रीब से फ़ज़्र तक की नमाज़ें और तरावीह पाबंदी से ज़मात के साथ पढ़े ।(याद रखें, फ़ज़्र की नमाज़ कजा ना हो वरना पूरी इबादत जाया हो सकती है )
2 – पाँचो रातों में थोड़ा थोड़ा या टुकड़ों में ज़कात ,सदका ,फ़ितरा या इमदाद जिस मद में चाहे खर्च करें ।( वैसे तो ये सब किया जाता ही है लेकिन इस रात में एक्स्ट्रा इबादत के तौर पर भी कुछ कर दे बेहतर है ।
3 – तरावीह के बाद और फ़ज़्र से पहले कम से कम एक पारे की तिलावत करें ,तर्जुमे के साथ पढ़े तो बेहतर है ।
4 – पाँचों ही रातों में तहज्जुद पढ़े ।
5- कुछ नफ़्ल या कजा नमाज़ें पढ़े या जिस तरह हो सके ज़िक्र ओ अजकार कर खूब दुआएँ करें ।
6 – रोज़ेदारों के लिए इफ़्तार/सहरी का इंतज़ाम भी किया जा सकता है ।
7- हम सब क़ब्रिस्तान भी ज़ियारत के लिए जाते है तो जो लोग चाहते है कि शब ए कद्र जैसी रात भी हम जाकर ज़ियारत करें तो वो भी इन पाँचों रातों में मग़रीब से फ़ज़्र तक के दरमियान क़ब्रिस्तान की ज़ियारत कर सकते है ।
8 – यहाँ आपकी सहूलियत के हिसाब से और कोई इबादत जोड़ ले जो आप आसानी से कर सकते है ।
इस तरह अगर हम कोशिश करें तो पाँचों रातों में सिर्फ़ एक से दो घंटे देकर भी ‘शब ए कद्र” जैसी अज़ीम रात पा सकते है। लेकिन अक्सर लोग ऐसा नहीं करते है ।
तो आइए नियत करते है की आज से शुरू होने वाली सभी ताक रातों का ऐहतमाम करते हुए ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करने की कोशिश करेंगे । अल्लाह से दुआ है कि सबसे पहले मुझे और फिर आप सबको अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।
(नोट- ये लेखक के निजी विचार है ।
इसे इस्लामी शैली की जगह साहित्य शैली में लिखा गया है ताकि आसानी से हर इंसान को समझ आ सके।
सुझाये गये सभी तरीक़े केवल मशवरे है जो आलिम ए दीन से राबता कर लिखे गए है ।)
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नासिर शाह (सूफ़ी)
9636652786

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Sufi Ki Kalam Se

4 thoughts on “शब ए क़द्र की रातें आज से शूरू आइए! तलाशें वो अजीमुस्शान रात..

  1. This is a free online meaure of Cattell’s 16 personality factors.

    Introduction
    In his explorations of personality, British psychologist Raymond Cattell found that variations in human personality could be best explained by a model that has sixteen variables (personality traits), using a statisical procedure known as factor analysis. Following this discovery he went on to create and promote the 16PF Questionnaire. This test uses a public domain scales from the Internation Personality Item Pool to measure the same traits.

    Procedure
    This personality test consists of 164 statements about yourself, for each indicate how accurate it is on the scale of (1) disagree (2) slightly disagree (3) niether agree nor disagree (4) slightly agree (5) agree. It will take most people around ten minutes to complete.

    Informed consent
    This test should be taken for educational purposes only. It is not a substitute for any type of professional service, medical or otherwise. You answers on this test will be stored and used for research, and possibly shared in a way that preserves your anonymity.

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