“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  भाग- 2   “बाजरा”

Sufi Ki Kalam Se

सूफ़ी की क़लम से…✍🏻

“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

भाग- 2   “बाजरा”

गेंहूँ के बारे में हमने बहुत सुना और निसंदेह गेहूँ हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है लेकिन हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए की लगातार सिर्फ़ गेंहू का ही सेवन करना हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव भी डालते हैं । गेंहू हमें ऊर्जा,कार्बोहाइड्रेट आदि कई चीज़े प्रदान करता है तो हमेशा इसका उपयोग करना मोटापा,डायबिटीज़ आदि कई बीमारियों को भी बढ़ावा देता है । गेंहूँ में मौजूद ग्लूटेन, रक्त में शर्करा की मात्रा को बढ़ाता है जिसका नियमित उपयोग इंसान को मधुमेह की बीमारी से ग्रसित कर सकता है इसके अलावा और भी कई समस्या है जो गेंहूँ के लगातार सेवन से हो सकती है । 

अब बात करें कि इसके नियमित सेवन का क्या विकल्प हो सकता है ! 

आख़िर गेंहूँ ना खाये तो क्या खाये?

तो फिर से हमें अपने क़दम रिवर्स में लेने की ज़रूरत होगी जहाँ हमारे बुजुर्ग गेंहूँ के साथ साथ बाजरा जैसा सुपरफूड खाते थे । आपकी जानकारी के लिए बता दें बाजरा उन्नीसवीं सदी में गरीबों का मुख्य आहार हुआ करता था लेकिन बीसवीं सदी में हरित क्रांति के फलस्वरूप गेंहू का महत्व बढ़ता गया और बाजरा सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित हो गया । बड़ा अजीब सा लॉजिक है कि बाजरा केवल इसलिए पिछड़ता गया क्योंकि यह कम पानी में और कम खर्चे में उपलब्ध हो जाता था जबकि गेंहू के लिए अधिक सिंचाई और खर्चे की आवश्यकता होती थी इसलिए ये पैसों वालो का आहार बन गया । इससे भी बड़ा दुर्भाग्य देखिए की होड़ा- होड़ की इस दुनिया में ग़रीब लोगों ने भी फैशन के चक्कर में आकर गेंहू को अपना मुख्य आहार बना लिया और इक्कीसवीं सदी आते आते बाजरा हर घर से लुप्त होता गया । 

लेकिन वक्त का पहिया बड़ी तेज़ी से चलता है । आज फिर बाजरा को प्रमोट किया जा रहा है । जो आहार गरीबो का हुआ करता था,  आज अमीर आदमी जो जागरूक है वो उसका सबसे ज़्यादा उपभोग कर रहे है और ग़रीब वर्ग जो शिक्षित नहीं है वो आज भी गेंहू को ही नियमित रूप से खाना फैशन समझता हैं । सरकार बाजरा को इतना बढ़ावा दे रही है कि साल 2023 को भारत में वर्ष 2023 को बाजरा के लिए “अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष” (International Year of Millets – IYM) के रूप में चुना गया। बाजरा में मौजूद पौष्टिक तत्वों ने इसे सुपरफूड मानते हुए सभी अनाजों में प्रथम स्थान दिलाया है ।

अब आप यह ना समझे की कल के ब्लॉग में गेंहू खाने के बारें में बताया और आज बाजरें की बात कर रहे हैं । गेहूँ खाना भी हमारे शरीर के लिये आवश्यक है क्योंकि इससे हमें कई तरह के फायदे होते हैं लेकिन कोशिश करें कि जैविक तरीके से उगाया गेंहू खाया जाए और गेंहू के साथ ही अपने आटे में बाजरा और अन्य मोटा अनाज भी शामिल करें ताकि गेंहू के नियमित सेवन के साइड इफ़ेक्ट से बचने के साथ ही बाजरा के अनेक पोषक तत्वों से लाभान्वित हो सकें ।

मिलते हैं अगले भाग में ।

आपका सूफी 

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