कौमी शख्सियत अली मोहम्मद खान गार्ड भी अचानक छोड़कर अपने आखिरी सफर के लिये चले गये।
जीवनभर सच्चे सामाजिक कारकून रहे अली मोहम्मद खां की कमी सालो खलती रहेगी।
।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
पीछले कुछ दिनो मे अनेक जान-पहचान व रिस्तेदारों के अतिरिक्त मेहरबान लोग भी यू अचानक छोड़कर अपने आखिरी सफर पर चले गये। जहां से अब हमारे पास उनका आना कतई मुमकिन नही होगा। केवल उनकी यादे व नसीहत अब हमारे काम आयेगी।
आज सुबह चूरु से सेवानिवृत्त निदेशक लोक अभियोजक, राजस्थान मोहतरम अय्याज मोहम्मद खां का संदेश मिला कि उनके वालिद मोहतरम व खासतौर पर मेरे पर शफकत का हाथ रखने वाले रेलवे से सेवानिवृत्त नब्बे साला अली मोहम्मद खां गार्ड , चूरु 20-मई को सुबह तड़के दिल का दौरा पड़ने से अपने आखिरी सफर के लिये रवाना हो गये।
मरहूम अपनी रेलवे की सेवा मे रहते हुये एवं उसके बाद सामाजिक जीवन मे पूरी तरह खिदमत ए खल्क मे समय बिताया। वो समाज मे नैतिक मूल्यों व शिक्षा पर हमेशा जौर देते रहे। कायमखानी महासभा मे अहम पदो पर रहते हुये अहम किरदार जीवनभर अदा करते रहे। वक्फ जायदादों पर अतिक्रमण के खिलाफ एवं उनकी सुरक्षा करने मे उनका विशेष योगदान रहा है। उनकी कोशिशों से चूरु शहर मे उस्मानाबाद वक्फ कोलोनी वजूद मे आई। जहां सेंकड़ो लोग आज निवास कर रहे है। गार्ड साहब की निरंतर कोशिशों के ही कारण उस्मानाबाद कालेनी शहर की कुछ अच्छी कोलोनियो मे गीनी जाती है।
माशाअल्लाह नब्बे वर्ष की आयू मे चल रहे कौमी शख्सियत मरहूम अली मोहम्मद खां गार्ड के तीन पुत्र है। जिनमे अय्याज मोहमम्द खां उप निदेशक, पब्लिक प्रोसीक्यूटर (लोक-अभियोजक) पद से सेवानिवृत्त हुये है। दुसरे पूत्र नियाज मोहम्मद खान अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, चूरु के पद पर सेवारत है। तीसरे पुत्र बाबर अली अधिवक्ता है।
कुल मिलाकर यह है कि चूरु के अली मोहम्मद खा गार्ड के अचानक यू आखिरी सफर पर चले जाने से जो समाज व खिदमतगारों की सूची मे खालीपन आया है। उस खालीपन की भरपाई होना अगले कुछ सालो मे मुश्किल नजर आता है। मरहूम के इंतेकाल की खबर पाकर चारो तरफ उनके चहेते उनके हक मे दुवाऐ कर रहे है।
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