कोटा शहर क़ाज़ी साहब की हालात ए ज़िंदगी – (अख़्तर ख़ान अकेला कोटा)

Sufi Ki Kalam Se

इस्लाम के क़ायदे ,,क़ानून ,,सिद्धांतो को खुद में आत्मसात कर ,,एक संत ,,एक बाबा ,,एक फ़क़ीर की ज़िंदगी जी कर ,, लोगों को ,,इस्लाम के विधि नियमों के इंसाफाना फैसलों के साथ मुसीबत के लम्हों में होसला देकर उनके चेहरे पर जीत की मुस्कान और गुमराह लोगों को राह पर लाने की कामयाब कोशिशो में आखरी दम तक , जुटे रहे कोटा के सीनियर शहर क़ाज़ी अल्हाज अनवार अहमद सर्वमान्य ,,सर्वदलीय ,सर्वधर्म ,,धर्म गुरु स्वीकार्य हो चुके थे , उनका अचानक यूँ हमें हमें रोता बिलखता छोड़ कर चला जाना हमें बर्दाश्त नहीं हो पा रहा ,,,है , 90 वर्षीय कोटा शहर के सीनियर शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ,को उनके नाना साहब से काजियत मिली और 1959 से पुरे 62 वर्ष काज़ियात की ज़िम्मेदारी ईमानदारी से संभालने के बाद ,, कोटा शहर की आम जनता की सर्वसम्मति के बाद , क़ाज़ियात की ज़िम्मेदारी इन्होने 2021 में ईद की नमाज़ के दिन , ,नायब क़ाज़ी का काम देख रहे , इनके पुत्र जनाब जुबेर अहमद साहब ,को यह ज़िम्मेदारी सौंप दी ,,और बैतूल माल का ज़िम्मा भी उन्हें सम्भला दिया ,, बैतूल माल , जो , एक ऐसा ट्रस्ट , है जिसके ज़रिये , गरीब , बेवा , ज़रूरतमन्दों , बीमार , मुसाफिरों की , रोज़ मर्रा बिना नागा , मदद होती है , क़ाज़ी अनवार अहमद की शख्सियत अनुकरणीय थी ,, वोह एक ज़रूरत रहे ,हैं , ,हर दिल अज़ीज़ कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद लोगों के दिलों की धड़कन बन चुके थे ,,और लोगों के दिल और ज़हन में शहर क़ाज़ी अनवार अहमद का मर्तबा इनके आमालों ,,इनकी सात्विक इस्लामिक जीवन शैली के कारण सरे बुलंद रहा ,है , ,,,जी हाँ दोस्तों कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद के लिए कुछ भी लिखना ,,कुछ भी कहना ,,सच,, सूरज को दिया दिखाने के मुक़ाबिल है ,, ,,,फरवरी 1932 को कोटा में जन्मे अनवार अहमद के वालिद मोहम्मद अय्यूब सार्वजनिक निर्माण विभाग में ज़िम्मेदार अधिकारी थे ,,लेकिन अनवार अहमद शुरू से ही सात्विक विचारों के थे ,,इसलिए दुनियावी शिक्षा के साथ साथ उनका रुहझांन इस्लामिक तालीम की तरफ भी रहा ,,,,अनवार अहमद की प्रारम्भिक शिक्षा कोटा में ही हुई ,,यह इनके नाना हुज़ूर क़ाज़ी ऐ शहर कोटा फेज मोहम्मद साहब की संगत में रहने लगे और उन्होंने इन्हे दीनी तालीमात से मालामाल कर दिया ,,अनवार अहमद हर क्लास में अव्वल थे ,,इनके आचरण से इनके दोस्त प्रभावित थे ,,,इन्होने हर्बर्ट कॉलेज कोटा जो इन दिनों राजकीय महाविद्यालय है इस कॉलेज से कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद , ने गेजुएट अच्छे नंबरों से पास किया ,, ,,हिंदी ,,उर्दू ,,अरबी ,,अंग्रेजी ,,पारसी सही कई भाषाओं पर इनका अपना कमांड रहा है ,,,,इनके नाना हुज़ूर के कोई लड़का नहीं था ,,लिहाज़ा इनकी तालीम और दीनी रहझांन ,,दीन की तरफ झुकाव ,,इस्लाम के सिद्धांतो को खुद में आत्मसात कर ,,अलमबरदारी को ,,,,इनके नाना हुज़ूर सहित कई आलिमों ने समझा और इनकी दीनी ख़िदमात ,,इनके इल्म ,,इनके इन्साफांना ,,अंदाज़ को देखकर 1959 में किशोरपुरा ईदगाह पर लोगों की सहमति से इन्होने ईद की नमाज़ पढ़वाई और कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद को ,,क़ाज़ी ऐ शहर ,,घोषित किया गया ,,सरकारी मान्यता मिली ,,अनवार अहमद के सामने यह एक चुनौती भरा कार्य था ,,एक तरफ इनकी पढ़ाई ,,लिखाई को देखते हुए इनके सामने कई महत्वपूर्ण और मालामाल कर देने वाली ओहदेदारान बढ़ी नौकरियां इनके सामने हाथ बांधे खडी थी ,,दूसरी तरफ फी सभी लिल्लाह ,,क़ौम की ख़िदमात और कांटो भरी रहबरी थी ,,लेकिन इनके अखलाक ,,इनके अंदाज़ से कोटा जिसमे पहले बारा ज़िला भी शामिल था ,,यहां के लोग इनके फरमाबरदार होते गए और इनके बताए हुए रास्ते पर सुधारात्मक सुझावों को स्वीकार करते रहे ,,,,हिन्दुस्तान में अनवार अहमद ही एक ऐसे धार्मिक गुरु ,,शहर क़ाज़ी बने और अब तक भी है जो दीनी तालीम के साथ साथ दुनियावी तालीम में भी अव्व्ल और ग्रेजुएट थे ,,,,,,,,,इनकी काजियात का ज़िक्र अकबर के काल सहित औरंगज़ेब ,,जहांगीर के ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी मिलता है ,,जब झाला ज़ालिम सिंह ने कोटा पर क़ब्ज़ा कर लिया तब कोटा के दरबार दिल्ली गए ,,उनके साथ जाने वालों में शहर क़ाज़ी के पूर्वज भी थे ,,वापसी में जब कोटा दरबार फिर कोटा के शासक बने तो उन्होंने फिर से एक ,,क़ाज़ीनामा ,,अधिकार पत्र जारी करते हुए लिखा के ,,इन्साफाना काजियात इन्हे दी जाती है ,,,,इस नियुक्ति पत्र में और भी कई ज़िक्र किये गए है ,,,,,कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद 62 साल के अपने इस काजियात के सफर में आमालों ,,कार्यशैली में हिन्दुस्तान में अव्व्ल कहे जाते रहे है ,,,इन्होने कोटा में कई उतार चढ़ाव देखे ,,कई खट्टे मीठे अनुभव किये ,,कई कड़वे घूंठ पिए ,,तो कई बार खुद ढाल बनकर क़ौम पर आने वाली मुसीबतों को रोक दिया है ,,इनके सुझावों से प्रशासन और सरकार हमेशा पाबंद रहती रही ,, ,,शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ,,विनम्र थे ,,,सात्विक थे ,,मिलनसार थे , क़ौमी एकता की जीती जागती तस्वीर थे ,, ,,सभी को साथ लेकर चलने वाले थे ,,अमानतदार थे ,,ज़िम्मेदार थे , ,,लेकिन जब सवाल इस्लाम के सिद्धांतो का आता तो यह सख्त हो जाते थे , ,,इस्लाम के सिद्धांतो के मुक़ाबिल इन्हे कोई समझौता पसंद नहीं , रहा ,इसलिए ईद के चाँद को लेकर प्रशासनिक और दुनियावी तरीके से आप हमेशा विवाद में रहे ,,,,इस मामले में क़ाज़ी ऐ शहर का कहना था ,,के चाँद का सिद्धांत इस्लाम में साफ़ है ,, या तो खुद देखो ,,या फिर तस्दीक के लिए दो गवाह आये ,,ऐसे में चाँद की अगर शहादत नहीं आती तो सरकारी घोषणा के आधार पर ईद नहीं मनायी जा सकती ,,अनेको बार ऐसा वक़्त आया है जब ,,हिन्दुस्तान के कई सरकारी काज़ियों ने सरकारी हुक्मनामे को माना और बिना चाँद देखे या फिर अरब के चाँद के मुताबिक ईद की घोषणा कर दी ,,लेकिन कोटा में चाँद नहीं दिखा या फिर शहादत नहीं आई तो यहां ईद दूसरे दिन ही मनाई गई ,,क्योंकि लोगों के रोज़े कम करना क़ाज़ी साहब के हाथ में नहीं ,,इस मामले में कई सरकारी अधिकारीयों ,, छुटभय्ये सरकारी चमचे कथित आलिमों का इन पर दबाव भी रहता था ,,लेकिन यह कभी किसी के दबाव में नहीं आये ,,,,,इस्लामिक तोर तरीकों और इन्साफांना फैसलों में अव्वल रहे क़ाज़ी अनवार अहमद जब जब भी क़ौम पर मुसीबत आई है ढाल बनकर आगे रहे है ,,सभी नेताओं ने जब सियासत दिखाई ,,कॉम को सियासी अंदाज़ में इस्तेमाल किया जब जब ,,एक मसीहा की शक्ल में खुदा ने क़ाज़ी ऐ शहर कोटा अनवार अहमद को इस कॉम का मददगार बनाया और कॉम मुसीबत से उभरी है ,,,,,,,में राजस्थान में कई मुस्लिम समस्याओं और समाधान के मामले में बुलाई जाने वाली सेमिनारों में जाता हूँ ,,में कोटा की मुसीबतों और उनके निराकरण के अंदाज़ के बारे में जब बताता हु तो ,,लोग मुझ लोग मुझ से सवाल करते है ,,,के आखिर तुम्हारे कोटा में ऐसा क्या है जो तुम हर लड़ाई बिना किसी हथियार के जीत लेते हो ,, सच में बढ़े फख्र के साथ कहता हूँ ,,हमारे कोटा वालों के साथ मुसीबत के हर लम्हे में अल्लाह के बन्दे ,,नेक बन्दे ,,क़ाज़ी ऐ शहर अनवार अहमद होते है ,,,सच कई लोगों के मुंह से निकलता है ,, काश ऐसी शख्सियत हमारे शहरों में भी हमारे साथ होती ,,, लेकिन अब यह शख्सियत हमारे लिए यादें , बन गयी , हैं अल्लाह इनके सुपुत्र क़ाज़ी ऐ शहर , को सब्र , दे इल्म की ताक़त दे और इनकी विरासत , इनकी तालीम के मुताबिक़ , क़ौम की ईमानदाराना रहनुमाई की तौफ़ीक़ अता फरमाए ,,, एक लम्हा जिसे याद करके कोटा शहर क़ाज़ी आज भी सिहर उठते थे , ,,,दंगे के माहोल में उन्नीस मय्यते ,,,शहर के अमन , चेन ,,सुकून की बहाली के लिए इन मय्यतों को दफन एक साथ कोटा में ही करवाना बहुत टेढ़ा काम था लेकिन कर्फ्यू पास लेकर रात भर करवाया गया ,,मरने वालों के परिजन साथ में सिसक रहे थे नम आँखों से शहर क़ाज़ी नमाज़ ऐ जनाज़ा पढ़ा रहे थे ,,रात भर सोये नहीं ,, घर पर और मोहल्ले में रात भर नहीं पहुंचे पर तलाश जारी हुई ,,वायरलेस हुए ,,लेकिन क़ाज़ी ऐ शहर ,,ख़ामोशी से डटे रहे और फिर सुबह सवेरे घर पहुंचे ,,कर्फ्यू के दौरान लोगों को सहूलियतें ,,खाने पीने के सामान ,,सुरक्षाबल उपलब्ध कराने के मामले में पूरी निगरानी रही ,,कई निर्दोषों को छुड़वाया गया ,,,ऐसे वक़्त मे,जब ज़ालिम सरकार ने एक तरफा टाडा क़ानून का दुरूपयोग कर लोगों को फंसाया तो ,,सभी रास्ते बंद होने पर ,,इंसाफ का झंडा क़ाज़ी ऐ शहर कोटा ने बुलंद किया और आखिर में जीत भी हुई ,,क़ाज़ी ऐ शहर को इस मामले में ,,लोकसभा चुनाव के दोरांन वोटों के वक़्त ,,,आत्मा की आवाज़ पर वोट डालने या नहीं डालने के मामले को लेकर अपील करना पढ़ी ,,नतीजा मुस्लिम बस्तियों में वोटो का प्रतीशत नगण्य हो गया और टाडा लगाकर निर्दोषों को प्रताड़ित करने वाली सतापार्टी जीती हुई बाज़ी भी हार गई ,,, बरकत उद्यान के वक़्त जब गोलीबारी का वक़्त था ,,पुलिस और जनता आमने सामने थी तब खुद पर ,,लाठी झेलकर खामोशी से इस विवाद को बिना किसी बढ़ी हिंसा के कोटा शहर क़ाज़ी ने निपटाया ,,
राजस्थान में उर्दू के साथ जब ज़्यादती हुई , तो एक लाखों लाख लोगों का जुलुस और वसुंधरा सरकार ने तुरंत अपना आदेश वापस लेकर उर्दू से जुड़े लोगों को राहत ,दी , जयपुर जेल में, जेलर द्वारा मुस्लिम क़ैदियों के साथ क़ुरआन शरीफ का अपमान , बर्दाश्त के,,,, बाहर बात थी , नतीजा आन्दोलन हुआ,, और जेल के ज़िम्मेदार सस्पेंड हुए, मुक़दमा दर्ज हुआ ,, रोज़ मर्रा के छोटे , बढे मसले तो यूँ चुटकियों में उन्होंने प्रशासन से बात करके सुलझाए , है ,,, उन्होंने , 1954 , 1992 , 1989 के दंगे भी देखे है वोह , 1961 से लगातार 1990 तक कोटा वक़्फ़ कमेटी के ज़िम्मेदार रहे हैं ,, बरकत उद्यान से सरकार को सड़क निकालने की ज़मीन देने का समझौता ,, घोड़ेवाला बाबा ,, शॉपिंग सेंटर कॉम्प्लेक्स का समझौता , जंगलीशाह बाबा , भवँर शाह तकिया की ज़मीन , छुड़वाना , चंबल गार्डन बनने के वक़्त लेंड लेंड फॉर लेंड , ,लेकर , वक़्फ़ नगर कोलोनाइजेशन , ईदगाह का विस्तार ,, कोटा शहर में चंबल गार्डन के सामने स्थित वक़्फ़ की दुकाने, वक़्फ़ का कार्यालय , कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद की सरपरस्ती में ही हो सका ,है , बरकत उद्यान झालवाड़ रोड , पर तात्कालिक कलेक्टर गोविन्द सिंह के वक़्त , झालवाड़ रोड के लिए वक़्फ़ की ज़मीन देकर , जनता को राहत देने के एवज़ में,,, गोविन्द सिंह कलेक्टर ने , इसे उद्यान विकसित कर,, इसका नाम पूर्व मुख्यमंत्री बरकत अली के नाम पर , बरकत उद्यान दिया , और यहां खूबसूरत फाउंटेन लगाककर उसका वाल्व कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद से खुलवाकर इसका उद्घाटन किया गया ,, कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ,ने समाजसेवी संस्थाओं संस्थाओं के साथ मिलकर, लोगों में नशे की आदत के खिलाफ अभियान छेड़ा , कई नशे के आदतन लोगों की नशे की लत छुड़वाई ,, उन्हें पुनर्वास के लिए ,, क़र्ज़ ऐ हसना , बिना सूद के लोन देकर, स्वरोज़गार के अवसर दिए ,, रोज़े इफ्तार कार्यक्रम हो कोई भी ,,, कार्यक्रम ,,हो ,जहां भी जिस सामजिक सुधार कार्यक्रम में क़ाज़ी ऐ शहर की तक़रीर होती है वहां लोग इन्हे दिल से सुनते थे और दिल में स्वीकार कर उस बताये हुए रास्तो पर चलने की कोशिशों में जुट जाते थे , ,,स्मैक के खिलाफ अभियान हो ,,,जेल में जाकर लोगों को सुधारने का अभियान हो ,,इस्लामिक तब्लिग ,,इंसानी हकूकों की बात हो ,,सामाजिक सद्भाव की बात हो ,,लाइलाज बीमारियों के इलाज का सवाल हो हर ताले की चाबी ,,क़ाज़ी ऐ शहर कोटा के पास थी , ,,,,पुरे कोटा के ज़कात फंड के अमीर बनाकर लोगों ने इन्हे ,,बैतूल माल का इंचार्ज भी बनाया ,,जिसका इस्तेमाल इनके द्वारा ग़रीबों ,,बेवाओं ,,बीमारों ,,ज़रूरतमंदों के हक़ में पुरी ईमानदारी के साथ किया गया , ,,अब तक अपने हाथो से करोड़ों करोड़ रूपये की इमदाद करने वाले शहर क़ाज़ी अनवर अहमद पर एक दाग भी कोई लगाने की हिमाकत नहीं कर सका था ,,कोटा और कोटा के लोगों की ज़रूरत बन चुके कोटा शहर क़ाज़ी की नेकियाँ ,,इनकी सलाहियतें ,,इनकी हिदायतें कोटा के लोगों के दिलों में धड़कन बनकर धड़कती रहेंगी ,, कोटा शहर क़ाज़ी का यूँ अचानक चले जाना , शहर को स्तब्ध ,, खामोश कर देने वाला ,है , कोटा शहर ही राजस्थान पूरा सदमे में हैं , अल्लाह उन्हें जन्नतुल फिरदोस में आला मुक़ाम अता फरमाए , उनके परिजनों को सब्र दे, उनके उत्तराधिकारी , क़ाज़ी ऐ शहर जुबेर अहमद को उनके वालिद , सीनियर क़ाज़ी मरहूम अनवार अहमद की तर्ज़ पर , अमन , सुकून , इन्साफ की राह का परचम बुलंदी की ताक़त हिम्मत अल्लाह अता फरमाए , आमीन , सुम्मा आमीन ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद साहब की पुरानी तस्वीर

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