आश्रम के लड्डुओं और मिर्जापुर के कट्टो ने गर्म किया वेब सीरीज का बाजार

सूफ़ी की कलम से… आश्रम के लड्डुओं और मिर्जापुर के कट्टो ने गर्म किया वेब सीरीज…

फिल्म समीक्षा – दंगल

📝 सूफी की कलम से….. “दंगल” (फिल्म समीक्षा) आमिर खान एक बार फिर अपनी नई फिल्म…

सुपरहीरो है हमारा पैडमैन

“मर्द आधा घंटे ब्लडिंग कर दे तो मर जाये जबकी औरते पुरे पॉच दिन तक इस…

भारतीय समाज का आईना दिखाती है फिल्म आर्टिकल 15

संवाद 1- “ये तीन लडकियाँ अपनी दिहाड़ी में सिर्फ तीन रुपया बढ़ाने की माँग कर रही…

अपना टाइम आएगा, लेकिन ऑस्कर से चूक जाएगा फिल्म समीक्षा _गल्ली बॉय

“तेरा बाप ड्राइवर है। नौकर का बेटा नौकर बनेगा, ये फितरत है। ” ऐसे नकारात्मक दृष्टिकोण…

विवादित कृषि कानून, क्या सिर्फ किसानो की समस्या है?

पूरी दुनिया के लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानो के कर्जदार है। क्योंकि यही वो…

इक्कीसवीं सदीं का इक्कीसवां साल

‘सुबह होती है, शाम होती है जिंदगी यों ही तमाम होती है।’ अभी कुछ समय पहले…

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