“बजट से राहत या आहत” बात तालीम की…(गेस्ट ब्लॉगर बाबूखान घड़ोई बाड़मेर)

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“बजट से राहत या आहत” बात तालीम की…

राजस्थान मदरसा बोर्ड जयपुर का गठन जनवरी 2003 में माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी के द्वारा किया गया था जिसका मकसद था मुसलमानों में खोई हुई तालीम की अहमियत में बेदारी लाना, “हर अंधेरे में काम आएगा, इल्म का आफताब ले जाओ” पर 20 वर्षो में सरकारें आई गई पर इल्म की बेदारी से उभरने के बजाए मदरसों में तालीमयाफ्ता तलबा कशमश में है वो जाए तो जाए कहाँ, वो समुद्र में तो सरकारों के सहारे से उतर गए पर बीचो बीच में पहुँचे तो मालूम हुआ कि किश्ती में ऐसा छेद है कि ना साहिल में रह सकते ना किनारे पर पहुंच पाए, वजह हर बार बजट में घोषणाएं भी होती है और सुनने में अच्छी भी लगती है पर दरअसल ऊंट के मुँह में जीरा कहावत साबित होती है, सरकारें कांग्रेस की हो या बीजेपी की बात एक हाथ मे कुरान, एक हाथ में कंप्यूटर की करते हैं पर महज ये एक जुमला ही होता है, मदरसा बोर्ड का गठन मक़सद हर घर मे इल्म की शमा रोशन करेंगे श्लोगन से होती है पर शमा है ना लौ है, ना उसको रोशन करने वाले उस्ताद, अफ़सोस होता है कि 20 सालो के गुज़र जाने के बाद भी मदरसा तालीम में उरूज़ नहीं आया उसकी वजह है:- मदरसे में तलबा तो है पर उस्ताद नहीं, राजस्थान में कुल 3454 मदरसे मदरसा बोर्ड से पंजीयन है, जिसमे 3032
प्राथमिक तो 422 उच्च प्राथमिक मदरसे है, लगभग 20 लाख तलबा पर 5400 मदरसा शिक्षा सहयोगी, ना किताबों का पता ना, ना वर्कबुक की खबर, पर बात स्मार्ट क्लास रूम कि की जाती हैं, रेगिस्तान में ऐसे कही इलाके तो ऐसे है जिनमे मदरसे पंजीयन तो है पर आज तक तलबा के बैठने के लिए एक रूम भी सरकार न दे, पाई पर दावे खूब पेश किए जाते है, अगर सरकार वाकई में मुसलमानों के बच्चों को तालीम से तरक़्क़ी तक पहुंचाना चाहती हैं तो सबसे पहले ये काम करे 1.मदरसो में टीचर्स लगाए क्योंकि 2013 के बाद आज तक कोई मदरसों में टीचर्स की भर्ती नहीं निकली है, करीब 20 हजार टीचर्स की भर्ती की जाए!
2.मदरसा बोर्ड में अपनी सेवाएं देने वालों को 3ग्रेड के टीचर्स के बराबर सैलेरी दे!

मदरसों में किताबों के साथ साथ होमवर्क बुक,नोटबुक,वर्कबुक की जरूरत को पूरी करवाए!
4.जहां मदरसों में क्लास रूम नहीं है वहां मदरसा आधुनिकरण योजना के तहत क्लासरूम बनाए!
5.मदरसों के रख रखाव, रंग रोगन व अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए हर साल प्रत्येक मदरसों के लिए बजट निर्धारित कर दिया जाए!
6.मदरसा से जारी TC को उच्च शिक्षा के लिए RSOS में दाखिला लेने के लिए CBEO से प्रमाणित करवाए बग़ैर दाखिला दिया जाए! मदरसों में तालीम के लिए अलग से बजट स्वीकृत किया जाए!!
इब्तिदा ये थी कि मैं था और दा’वा इल्म का!
इंतिहा ये है कि इस दावे पे शरमाया बहुत!!
मुस्लिम रहनुमाओं की खामोश मिज़ाजी मदरसों के बदहाली का कारण है, दावे तो हजारो की जाते रहे है पर हालात कोई सुधरना नहीं चाहता, इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए!!
बाबूखान घड़ोई, कल्याणपुर, बाड़मेर
सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, शिक्षा सहयोगी


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