गेस्ट पॉएट, इमरान खान की दर्द भरी कविता ‘लॉकडाउन और मजदूर “
देश का मजदूर सड़कों पर दर दर रहा भटकता
अपने गांव और शहर के बीच रहा वो लटकता
नहीं मिली कहीं उसे पनाह सबको रहा खटकता
रोया दिल उसका और आंसू रहा टपकता
पैदल ही चल दिया बेचारा वो तो नंगे पांव
हर हाल में पहुंचना था उसको अपने गांव
बोझा उठाया उसने और सही भयंकर गर्मी
पर सरकारों ने ओढ रखी बहुत अधिक बेशर्मी
सरकारें कहती इनके लिए लगा दी है बस और रेल
फिर मजदूरों की सड़कों पर ये कैसी रेलमपेल
कुछ तो पहुंचे अपने घर कुछ ने जिंदगी हारी
कुछ को पहुंचते पहुंचते लग गई यह बीमारी
सुन लो ए सरकारों खुदा तुमको नहीं करेगा माफ़
इन बद्दुआओं से ही तुम हो जाओगी साफ़।
– गेस्ट पॉएट, इमरान खान, दौसा
छायाकंन – जुनैद पठान
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