सूफ़ी की कलम से…
रीट परीक्षा मे लेवल वन मे बीएड वालों को शामिल करने के मामले में शुक्रवार को जोधपुर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें बीएड वालों को अंतरिम रूप से आवेदन करने का फैसला दिया गया है।
लेकिन इस फैसले का फ़िलहाल ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि बीएड वाले लेवल वन के लिए भी पात्र हैं। गौरतलब है कि इससे पूर्व भी यह मांग हमेशा उठती रही है कि बीएड वाले भी प्रथम स्तर के शिक्षकों के लिए पात्र हैं लेकिन हर बार लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ये फैसला बीएसटीसी वालों के पक्ष में ही गया है।
एक बात और स्मरणीय रहे हैं, राज्य सरकार पूर्व में भी स्पष्ट कर चुकी है कि बीएड वाले लेवल वन के लिए पात्र तो हो सकते हैं लेकिन उन्हें छः माह का ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य होगा जिसकी राजस्थान राज्य में कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे मे ये मामला एक बार फिर से पेचीदा हो गया है। कोर्ट ने तो पूर्व की तरह अपना काम कर दिया है। इससे पूर्व भी 2012 वाली भर्ती मे बीएड वालों से लेवल वन के ना सिर्फ आवेदन लिए गए थे बल्कि परीक्षा मे भी शामिल कर लिया गया था लेकिन उसके बाद बीएड वाले आगे की कानूनी लड़ाई हार कर बाहर हो गए।
अभी जो फैसला आया है उसके तहत समस्त बीएड अभ्यर्थी लेवल वन के लिए आवेदन कर सकते हैं और उन्हें करना भी चाहिए क्योंकि हर दौर में, हर समय अलग अलग फैसले आ सकते हैं। इस बात के कई उदाहरण भी मौजूद हैं। जैसे कभी लेवल टू मे एडिशनल विषय से स्नातक वाले लेवल टू विषय के लिए पात्र नहीं होते थे लेकिन मजबूती से केस लड़ने से वह 2018 वाली भर्ती मे पात्र हो गए और आज भी नोकरी कर रहे हैं।
इस मामले में अगली सुनवाई एक मार्च को होगी, उसमे जो फैसला आना होगा आ जाएगा लेकिन आप लेवल टू मे आवेदन करके रिस्क से बच सकते हैं। साथ ही बीएसटीसी वालों को भी सब्र से काम लेना होगा क्योंकि राजस्थान में हर भर्ती कोर्ट के इर्द गिर्द घूमकर ही पूरी होती है। ऐसे में गैंद कब, किसके पाले में गिर जाए, कह नहीं सकते। इसलिए मेरी आप सब अभ्यर्थियों को सलाह है कि सबसे पहले तो अपने अपने स्तर की पढ़ाई जारी रखे। लेवल टू वालों का पूरा फोकस सिर्फ लेवल टू पर ही रहना चाहिए और बीएसटीसी वालों का लेवल वन पर। बाकी जो होगा वो भाग्य और समय की बात है।
एक बार फिर, शुभकामनाओं के साथ आपका
– नासिर शाह (सूफ़ी)