न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के हुए न उधर के हुए
उर्दू का ये मशहूर शेअर जिसमें शायर कहता है कि’ हमने अपने महबूब से मिलने के खातिर खुदा की इबादत तक छोड़ दी लेकिन आखिर में हमारी अपने महबूब से मुलाकात ना हो सकीं और खुदा की इबादत तो हमने पहले ही छोड़ दी। इस तरह ना खुदा मिला और ना महबूब ।
उर्दू का यह शेअर आज बंगाल चुनाव पर सटीक व्यंग्य करता नजर आता है। केंद्र सरकार ने यह चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। पश्चिम बंगाल की तत्कालीन टीएमसी सरकार के कई नेताओं को अपनी पार्टी मे शामिल करने से लेकर बीजेपी ने यह चुनाव जीतने के लिए कई बड़े बड़े हथकंडे अपनाए। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से लेकर प्रधानमंत्री तक, सबने पूरी ताकत बंगाल की सत्ता प्राप्त करने के लिए लगा दी थी।
हालांकि बंगाल चुनावो में हर राजनैतिक दलों ने कोविड-19 के प्रॉटोकॉल को तोड़कर जो रैलियां करने की रिस्क ली है वो किसी से छिपी नहीं है। सभी राजनैतिक दलों ने सत्ता की लालसा के खातिर, जिस प्रकार प्रॉटोकॉल की धज्जियाँ उड़ाते हुए पूरे राज्य के लोगों की जिंदगियों को खतरे में डाल दिया था, उसके परिणाम आज भी देश भुगत रहा है। वैसे तो सभी राजनैतिक पार्टियाँ इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार है लेकिन देश के सबसे जिम्मेदार पद पर विराजमान प्रधानमंत्री भी इसमे शामिल हैं इसलिए उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा था। गौरतलब है कि देश में कोरोना वाइरस भयंकर महामारी का रूप लेकर पूरे देश में तबाही मचाये हुए हैं इसलिए पूरे देश में सरकार की नाकामी के विरोध की लहर स्पष्ट दिखाई दे रही थी। इस विरोध की आग में अगर भारतीय जनता पार्टी यह चुनाव जीत जाती तो कम से कम एक लाभ तो उसे मिलता जो उनके खिलाफ उठ रहे विरोध को ठंडा करने में काम आता लेकिन ऐसा ना हो सका। अब यह हार आने वाले समय में केंद्र सरकार के लिए कई तरह की मुसीबतें खड़ी कर सकती है।
भारतीय जनता पार्टी इस बार भी बंगाल में सरकार भले ही ना बना पाई हो लेकिन उनका प्रदर्शन काबिल ए तारीफ़ है । खास तौर पर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को बीजेपी के शुभैन्दु अधिकारी ने जो टक्कर दी है उसे ममता बनर्जी सहित, पूरी पार्टी हमेशा याद रखेगी। टीएमसी ने भले ही पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लिया हो लेकिन स्वयं मुख्यमंत्री की जीत के लिए आखिरी दौर की मतगणना पर निर्भर रहना पड़ा जिसमें पहले ममता बनर्जी को 1200 मतों से विजयी घोषित कर दिया लेकिन कुछ देर बाद ही शुभैन्दु अधिकारी को 1622 से विजयी घोषित कर दिया गया। दोनों ही आंकड़े देश के मैन स्ट्रीम मीडिया द्वारा दिए गए हैं। अब यह मामला फ़िलहाल अटका हुआ है। उधर बंगाल में टीएमसी लगातार तीसरी बार सरकार बनाकर हैट्रिक बनाने में भी कामयाब रही।
– नासिर शाह (सूफ़ी)
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