“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  भाग- 5  “भोजन सेवन का पुराना तरीका”

Sufi Ki Kalam Se

सूफ़ी की क़लम से…✍🏻

“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

भाग- 5  “भोजन सेवन का पुराना तरीका”

पहले के इंसान, चाहे ग्रामीण हो या शहरी सबके भोजन करने का समय लगभग एक सा होता था । सुबह के नाश्ते से लेकर रात के भोजन तक, सब काम तय समय पर होता था जिससे शारीरिक और मानसिक रूप से इंसान स्वस्थ रहता था । जब जमाना आधुनिक होता गया तो लोगों के खानपान का तरीका भी बदल गया । सुबह के नाश्ते के समय तक तो सोते ही रहते हैं और खाने के समय या तो नाश्ता करते हैं या सीधे ही भोजन कर अपने अपने काम पर निकल जाते हैं और फिर शाम को घर तो आते हैं लेकिन रात का भोजन देर रात तक करते हैं और खाकर सीधे ही सो जाते हैं । इस दिनचर्या की वजह से वर्तमान समय में मोटापा, डायबिटीज़ जैसी अनेक अनचाही बीमारियों ने इंसानों को घेर लिया है । अतः एक बार फिर हमें हमारे बुजुर्गों के तरीकों को अपनाते हुए बीसवीं सदी की तरफ़ ,उल्टे क़दम उठाने होंगे और सही समय पर खानपान करना होगा।

खाने का सही समय और तरीका :-

नाश्ता:–  सुबह तय समय पर उठकर सबसे पहले नाश्ता करें और ध्यान रखें कि सुबह का नाश्ता हेल्थी हो आजकल के आधुनिक लोगो की तरह कचौड़ी,समोसा या फ़ास्ट फूड ना हो । पुराने लोगो की तरह दूध,दलिया, राबड़ी जैसे पौष्टिक व्यंजन का नाशता कर अपने दिन की अच्छी शुरुआत करें । मौसमी ताजा फलों का सेवन या इनका जूस भी अच्छा विकल्प है इसके अतिरिक्त ड्राई फ़्रूट्स या अन्य कई स्वादिष्ट और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें ।

सुबह का खाना:- अगर आप हेल्थी नाश्ता करते हैं तो फिर आपके खाने का समय दोपहर 12 बजे से 1 बजे के मध्य रखें और हो सके तो खाने से पहले या खाने के साथ,सलाद का सेवन भी करें । 

रात का भोजन:- इसे भले ही रात के भोजन का नाम दिया गया है लेकिन इसे रात होने से पहले ही कर लिया जाए तो ये हमे अनेक अनचाही बीमारियों से बचा सकता है । कोशिश करें की सूर्यास्त के समय के आसपास ही रात्रि भोजन से फारिग हो जाए ताकि सोने से पहले आसानी से पच जाए । रात्रि भोजन करते समय जब पेट भरने को हो तब ही खाना बंद कर दें यानी अपनी भूख का केवल अस्सी फ़ीसदी ही खाएँगे तो निश्चित रूप से काफ़ी फायदेमंद होगा । इसके अतिरिक्त खाने के तुरंत बाद पानी भी नहीं पियें तो बेहतर होगा क्योंकि इससे पेट का संतुलन ठीक रहता है । खाने के लगभग आधे से एक घंटे बाद पानी पीने की आदत हमारे स्वास्थ्य सुधार में काफ़ी मददगार साबित हो सकती है ।

सामूहिक भोजन करें:- 

इस व्यस्तता भरे दौर में परिवारों का विघटन भी तेजी से हो रहा है और अब एकल परिवार में भी अगर तीन ही सदस्य हैं तो वो भी एक साथ भोजन नहीं कर पाते हैं जिससे उनमें आपसी तालमेल नहीं बन पाता है और खाने में भी वह आनंद नहीं आता है जो पहले के दौर में शामिल खाना खाने में आता था । अगर आप अभी भी सयुंक्त परिवार का हिस्सा हो या, जितने सदस्य हो सब साथ में खाना खाते हैं तो आप खुशनसीब हैं और अगर सामूहिक भोज नहीं करते हो तक कोशिश करें कि दोनों समय ना सही, कम से कम एक समय सब सदस्य साथ में भोजन करें ।

जो तरीक़े बताए गए हैं वो नए नहीं है और ना ही कोई लिखने जैसी बात! लेकिन हमने व्यस्तता के चलते पूरा शेड्यूल बिगाड लिया है जिससे हमारा स्वास्थ्य स्तर लगातार प्रभावित हो रहा है तो हमें नया कुछ नहीं करना है बस थोड़ा रिवर्स चलते हुए पुराने लोगों की दिनचर्या अपनानी होगी । आओ चले उल्टे क़दम..कुछ क़दम बीसवी सदी की ओर..

मिलते है अगले भाग में 

आपका सूफ़ी 

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40 thoughts on ““आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  भाग- 5  “भोजन सेवन का पुराना तरीका”

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