टूटने लगा हूं, हां मैं टूटने लगा हूं, गेस्ट पॉएट एम एच खान की कविता

टूटने लगा हूं, हां मैं टूटने लगा हूं गैरों का मलाल नहीं। अपनों से टूटने लगा…

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