पिता
यह जीवन का आधार है,
इनके बिना सब बेकार है,
जो स्वयं जलकर,
घर को जगमगाते हैं,
वह है पिता,
जो अपनी इच्छाओं का दमन कर, बच्चों का दामन भरते हैं,
वह है पिता,
जो अपनी खुशियों का त्याग कर,
बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हैं ,
वह है पिता,
जो अपना सब कुछ त्याग कर,
सबको एक धागे में बांधकर ,
जीवन पथ पर आगे बढाते हैं ,
वह है पिता,
जो छोटी बड़ी मुश्किलों में,
ढाल बनकर खड़े होते हैं ,
वह है पिता,
जीवन का आधार है पिता,
जीवन का सार है पिता,
रश्मि नामदेव शारीरिक शिक्षिका एवं सेल्फ डिफेंस मास्टर ट्रेनर, कोटा राजस्थान


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