अज़मेर जिले की सम्पूर्ण जानकारी (सम्पूर्ण विद्यार्थियों के लिए उपयोगी ट्रैवल ब्लॉग)

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सुल्तान की क़लम से …. तारागढ़ + दुर्ग = अज़मेर

• सबसे पहले राजस्थान की अगर हम बात करे तो यह भी एक पर्यटन स्थलों की दृष्टि से एक सम्पन्न राज्य है , जहाँ हर वर्ष लाखों सैलानी दूसरे देश से तशरीफ़ लाते है।

इतिहास की नज़र से अगर हम देखे तो भारत आने वाला हर तीसरा पर्यटक ” राजस्थान आता” है और इसी पर्यटन विभाग की स्थापना 1956 ई. में हुई जिसे बाद में उधोग का दर्जा दिया गया |
एकीकरण से पूर्व , पुराने ज़माने में सारी क्रियाए यहाँ से संचालित हुआ करती थी इसलिए वर्तमान- में अज़मेर शहर को “राजस्थान का हृदय” और भारत का मक्का कहा – जाता है |

  • आगे की अगर हम बात करे तो Just Before

‘तारागढ़ दुर्ग’ जो कि एक पर्यटक स्थल है , यह दुर्ग अरावली की ऊँची पहाड़ी/गठ बिठली पहाड़ी पर बसा हुआ दुर्ग है , जिसका निर्माण – अजयपाल/अजयराज ने 683/1113 ई. में करवाया |
यह दुर्ग राजस्थान के मध्य भाग अरावली में सिथत (अरावली का अरमान) है , जिसकी ऊपर चढ़ाई पर जाने के लिए 1 घण्टा 45 मिनट का समय लगता है ,

  • इस दुर्ग का नामकरण /दुर्ग का पुनः निर्माण – पृथ्वीराज सिंसोंदिया राजकुमार ने करवाकर(निर्माण) अपनी पत्नी – तारा बाई के नाम पर “तारागढ़ दुर्ग” नाम रखा |
  • राजस्थान/राजपूताने को जीतने से पहले इस दुर्ग को विजय करना अनिवार्य था , जिस कारण इसे राजपूताने की कुंजी कहा जाता है |

● दुर्ग के अंदर प्रवेश –

दुर्ग के अंदर 6 दरवाजें है , जिनमें से एक सु प्रसिद्ध – फूटा दरवाज़ा आदि |

  • 14 बुर्ज , जैसे – घूँघट , इमली , बंदरा आदि के नाम से Famous है |
  • इसी दुर्ग के अंदर एक झरना है, जिसे ‘नाना साहब का झरना’ कहा जाता है और इसी दुर्ग में शाहजहां के बड़े पुत्र – ‘दाराशिकोह का जन्म’ भी यहीं हुआ , इसे भारत का लघु अकबर(लेनपोल ने) कहा जाता है |
  • दुर्ग के अंदर , मारवाड़ के शासक – मालदेव राठौर की पत्नी – उमादे / रूठी रानी (मारवाड़ क्षेत्र से रूठ कर आई) का महल भी स्तिथ है |
  • दुर्ग के अंदर “घोड़े की मज़ार” स्तिथ है , जहाँ पर दाल/चावल चढ़ाई जाती है , इसी के अंदर एक गुफा है , सिसखाना नाम से जिसमे पृथ्वीराज चौहान चामुण्डा माता के दर्शन करने जाया करता था |

यह दुर्ग सर्वाधिक स्थानीय आक्रमण सहने वाला दुर्ग है , यहाँ पर 1658 ई. में अकबर के सेनापति – सय्यद मोहम्मद क़ासिम खां का अधिकार हो गया |

•पहाड़ी किले पर स्तिथ मज़ार –

  • तारागढ़ किले का सबसे ऊँचा भाग “मीरान साहब की दरगाह” कहलाता है जो कि अज़मेर जिले के प्रथम गवर्नर , मीर सय्यद हुसैन थे जहाँ पर सफेद कपड़े की चादर पेश की जाती है |
  • हज़रत जिन्दा शाह वली रह. अलैह…
  • हज़रत सय्यद भोलन शाह रह. अ. , यह मीरां सय्यद हुसैन की फ़ौज के सिपा सालार थे , आप शहीद होने के बाद आप को ग़रीब नवाज ने मदफून किया |
  • हुज़ूर गौसे पाक पिराने पीर दस्तगीर व इनके पोते का मज़ारे अक़दस |
  • घोड़े की मज़ार जो कि हिंदुस्तान की एक मात्र है |
  • अजयपाल जादूगर – (जो उस जमाने में हिंदुस्तान का सबसे बड़ा जादूगर माना जाता था ) के द्वारा भेजा गया पत्थर जो आज भी तारागढ़ पहाड़ी पर मौजूद है , जिसे ग़रीब नवाज ने उँगली व घोड़े के इशारे से रोका , ऐसी करामातें देखकर इसने भी इस्लाम कुबूल किया और ग़रीब नवाज ने इसका नाम अब्दुल्लाह रखा |

दरगाह – पहाड़ी किले से नीचे , मीठा नीम वाले बाबा , जहाँ पर एक मीठा नीम का पेड़ है , कहते है , कि उस नीम की पत्तियों से बीमारी शफा होती है |

• अढाई दिन का झोपड़ा –
जो कि प्राचीन काल में एक संस्कृत महाविद्यालय हुआ करता था, (निर्माण-विग्रहराज चतुर्थ ने) परंतु इसे सुल्तान मुहम्मद गौरी के सेनापति – कुतबुद्दीन ऐबक (ग़ुलाम वंश का पहला बादशाह) इसे मस्जिद में तब्दील करवा दिया , जिसे आज वर्तमान में
राजस्थान की “पहली मस्जिद” कहा जाता है |

  • इस पर जो नक्काशी की गई है , वह बहुत ही बारीकी से की गई है जो आज के जमाने में शायद ही कोई करता हो , इसलिए इसे 16 खम्भों का महल भी कहा – जाता है |
  • इसी महल के अंदर एक संगमरमर का मेहराब भी बना हुआ है , जिस पर कुरआन (मुस्लिम धर्म की पवित्र क़िताब) की आयत /lesson आयतल कुर्सी (अरबी भाषा) में लिखी हुई है और बाहरी गेट पर मुख्तसर/smallest आयतें लिखी हुई है |

Note – इसी के समीप ही सु प्रसिद्ध दरगाह , “हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती” (ईरान) जो कि उस ज़माने के एक मशहूर सूफ़ी गुज़रे है , इनकी दरगाह की शुरुआत – इल्तुतमिश ने करवाया , जिसे पूर्ण – नसीरुद्दीन हुमायु ने करवाया |

  • इनकी सबसे मशहूर करामात ” रोटी का टुकड़ा” जो इनके पीरो मुर्शीद , ‘ख़्वाजा उस्मान हारूनी’ ने इनको जो करामातें सिखाई उनमें से एक करामात यह भी थी , इसी वजह से आज यह गरीब नवाज़ के नाम से याद किए जाते है |

-इनकी जियारत के लिए सभी कौम के लोग बड़ी दूर -2 से तशरीफ़ लाते है और फैज़ हासिल करते है |
-इस दरगाह का जो मैन गेट है , वह निज़ाम गेट (हैदराबाद के निज़ाम द्वारा निर्मित) के नाम से और आख़री गेट बुलन्द दरवाज़े के नाम से याद किया जाता है |
औए इसी मुख्य द्वार पर /समीप एक बेगम दलान है, जिसका निर्माण – शाहजहां की बेटी , जहाँ आरा ने करवाया |

  • दरगाह के अंदर – एक चांदी का कटहरा जो कि सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित है |

• अन्य पर्यटक स्थलों में –

  • मैगज़ीन दुर्ग – निर्माण – अक़बर ने 1570 ई. में
  • आना सागर झील , निर्माण – अणोंराज जो आना जी के नाम से प्रसिद्ध है |
  • दौलत बाग – (सुभाष उद्यान) निर्माण – जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर
  • सोनीजी की नसिया , जैन मंदिर
  • ब्रह्मा जी का मंदिर – पुष्कर
  • दरगाह , पीर फखरुद्दीन –
    सरवाड़
  • अब्दुल्ला खा का मक़बरा आदि

गेस्ट ब्लॉगर शाहरुख (सुल्तान )


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