कांवड़ यात्रा के नाम मुसलमानो को एक पैगाम (गेस्ट ब्लॉगर हैदर अली अंसारी)

Sufi Ki Kalam Se

एक पैगाम मोहब्बत के नाम
हमारा मुल्क हिन्दुस्तान एक बाग की मानिन्द हे जहां कई तरह के फूल, पेड़ पौधे अलग अलग रंगों मे अपनी खूबसूरती से बाग को खूबसूरती देते हे ठीक उसी तरह इस मुल्क मे अलग अलग मजाहिब के मानने वाले दीगर कई तरह की रसूमात अदा करते हुए अपनी जिंदगी मोहब्बत और भाइचारे के साथ मिल जुल कर बिताते आए हे और सदियों से मोहब्बत औऱ भाइचारे की यह फिजा देश मे चल रही है जहां इबादात और मजहबी तहजीब मे भी हमेशा मुल्क के सभी बाशिंदे साथ रहकर एक दूसरे के सुख दुख मे साथ खड़े रहते हैं देश की आजादी की लड़ाई मे भी कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजो को इसी मोहब्बत और भाइचारे के साथ मिल जुल कर मुल्क की अवाम ने धूल चटायी और इस मुल्क को दुनिया के नक्शे पर एक बड़ा नाम दिया है जिसे पूरी दुनिया सलाम करती आयी है
किसी ज़माने मे जो काम इस मुल्क मे अंग्रेजो ने किया था आज भी कुछ घटिया मानसिकता के लोग और राजनेता मुल्क मे इस मोहब्बत और भाइचारे की फिजा को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं आज हम कांवड़ यात्रा के नाम मुल्क मे सड़कों पर खड़े होने वाले फुटकर व्यापरियों और दुकानों के बोर्ड पर नाम प्लेट लगवाने की मुहिम चलाकर ठीक उसी मार्ग पर आगे ले जाना चाहते हैं जिस मार्ग पर कभी अंग्रेजो ने लोगों को बांट कर राज करने की नीति अपनायी थी लेकिन मुल्क के लोगों की यकजहती और इत्तैहाद की बनिस्बत वो कामयाब नहीं हुई और मुझे पूरी उम्मीद हे कि कभी भी इस तरह की नफरत की विचारधारा और देश को आपस मे बांटने की यह नीति और रीति ना कभी मुस्तकबिल मे कामयाब होने वाली है

साथियो दुनिया के हर मजहब मे यही पैगाम हमे मिला है कि हम सभी को एक दूसरे का सम्मान और इज़्ज़त करते हुए अपनी जिंदगी बसर करनी है कुछ लोग हमे आपस मे लड़ाकर अपने स्वार्थो की सिद्धि करना चाहते हैं लेकिन जब किसी एसी नफरत की विचारधारा को कुछ लोगों और कुछ संगठनो की जानिब से जब पूरे देश पर थोपने और उसे प्रचारित करने का प्रयास किया जाता है तो हमे इसके मुकाबिल मे आकर इस नफरत की विचारधारा के खिलाफ एक बड़े लेवल पर मोहब्बत और भाइचारे को मजबूत करने वाली नीति और रीति विचारधारा, नजरियात को पूरे देश मे चलाने की जिम्मेदारी भी अवाम की हे

देश मे एक तार्किकता के साथ गोर ओ फिक्र करने पर हम सभी जानते हैं कि क्या यह मुमकिन हे कि हम अपनी जरुरियात को पूरा करने और खरीदारी और बेचान करने मे इंसान की जाती और मजहब को तलाश करे यह किसी भी इंसानी नजरियात मे सही नहीं ठहराया जा सकता है कितने अफसोस की बात हे कि प्रशासन और हुकुमत मे बेठे आला तालीम याफ्ता लोग भी कुछ राजनीतिक दलालों और सत्ता हासिल करने के लिए कुछ भी कर गुजरने वले लोगों की साजिशों के शिकार हो जाते हैं यह गोर ओ फिक्र का मुकाम हे जहां देश की मीडिया और सामाजिक संगठनों को इस नफरत की विचारधारा के खिलाफ खड़े होकर इसका खंडन करना था वो इसकी महिमा मंडन मे अपना ज़मीर बेच कर लगे हुए हे, कोर्ट इस तरह के देश को बांटने के आदेश पर मूक दर्शक बन कर तमाशबीन बना हुआ है तो फिर इसके खिलाफ खड़े होकर इस विचारधारा को खत्म करने की जिम्मेदारी खुद अवाम के कंधों पर आ जाती है इसीलिए देश के सभी तालीम याफ्ता और गोर ओ फिक्र करने वाले, और मुल्क मे मोहब्बत और अमन, की फिजा बरकरार रखने वाले लोग केसे खामोश रह सकते हैं लिहाजा जरूरत है मिल जुल कर बांटने वाली इस नीति को जड़ से मिटाया जाए ताकि कभी दुबारा लोग इस तरह की कोशिशे नहीं करे

अम्नो अखुव्वत अदलो मोहब्बत वहदत का प्रचार करो
इंसानो की इस नगरी मे इंसानो से प्यार करो

आज मुल्क मे जिस समुदाय और समाज के खिलाफ यह मुहिम चलायी जा रही है वो अपनी मोहब्बत और भाइचारे की रिवायात को मुल्क के बाशिंदों के सामने बढ़ चढ़ कर पेश करे
इस लेख के माध्यम से मे देश के सभी मुसलमानो को आह्वान करता हूं कि जहां जहां से जिस भी शहर, कस्बे से, गली से, सड़क से, चौराहे से कांवड़ यात्रा गुजरे आप इसका भरपूर जोर शोर से इस्तकबाल करे, लोगों की मदद करे, उनके सफर मे आसानी पैदा करे, जलपान का इन्तेजाम करे, कुछ लोग कांवड़ यात्रियों की राह मे कांटे बिछाकर अपनी गंदी सियासी साजिशों को कामयाब करना चाहते हैं हम उनकी राहों मे फूल बिछाकर उनकी इसी यात्रा को वो खुशनुमा माहौल दे जिसे सिर्फ हमारे मुल्क मे ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया इस मोहब्बत और भाइचारे की रिवायत को देखे और हम मुल्क वासियों पर नाज़ करे
मुसलमानो का ईमान हे कि जिस रब ने इंसानो को पैदा किया है वही रब हमारे दाना पानी का भी इन्तेजाम करता हे हम मुसलमानो को इस बायकॉट से घबराना नहीं बल्कि इस नफरती नजरिया के मुकाबिल कंपटीशन में उतर जाना हे , कस्टमर को अपनी तरफ अट्रेक्ट करना, उसके साथ उम्दा अखलाक से पेश आना, साफ सफाई का खास ख्याल रखना, ईमानदारी और सच्चाई के साथ अपने काम को अंजाम देना यह तिजारत के वह उसूल हैं कि जिसकी बुनियाद पर कोई भी आपका मुकाबला नहीं कर सकता, न चाहते हुए भी कस्टमर्स आपके ही पास आयेंगे, इस तरह के बॉयकॉट, टॉर्चर हमारी कौम बहुत पहले से सहती आई है कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि रिज़क जमीन से नहीं आसमान से उतरता है। यह हमारा ईमान भी हे
हमे अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद सल्लललाहू अलेही वसल्लम की उस तालीम को आम करना हे जो पूरी दुनिया के लिए अमन का पैगाम हे, जो पूरी इंसानियत के लिए हे

मुझे मुल्क के सभी बाशिंदों से पूरी उम्मीद हे कि मुल्क मे कभी भी यह नफरत की सोच कभी कामयाब नहीं हो सकती है ना हुई हे और ना कभी होगी बल्कि जब जब इसे कमजोर करने की साजिश रची गई मुल्क के बाशिंदों ने अपनी मोहब्बत और भाइचारे की सोच को और मजबूत किया है

हैदर अली अंसारी


Sufi Ki Kalam Se

21 thoughts on “कांवड़ यात्रा के नाम मुसलमानो को एक पैगाम (गेस्ट ब्लॉगर हैदर अली अंसारी)

  1. This is very good article because in this there is a good way to maintain communal harmony in society and it will improve love and affection in society .

  2. Siyasat hai ye, kese kese kaam karti hai..! Ye aankhein chhin leti hai or chasme daan karti hai…!!

    Bahut hi achchha likha hai janab Haider Ansari sahab

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