ग़ज़ल
वो तो दुश्मन है और क्या देगा
सिर्फ मरने की बद्दुआ देगा
وہ تو دشمن ہے اور کیا دیگا
صرف مرنے کی بددعا دیگا
पहले लेगा वो हाथ में पत्थर
और फिर मुझको आईना देगा
پہلے لیگا وہ ہاتھ میں پتھر
اور پھر مجھکو آئینہ دیگا
पहले रक्खेगा मेरे सर पर ताज
और फिर ख़ुद उसे गिरा देगा
پہلے رکھیگا میرے سر پر تاج
اور پھر خود اسے گرا دیگا
अब हवा इक दिया जलाएगी
और सूरज उसे बुझा देगा
اب ہوا اک دیا جلائےگی
اور سورج اسے بجھا دیگا
वो ज़मीं से उठाएगा मुझको
और वही ख़ाक में मिला देगा
وہ زمیں سے اٹھائے گا مجھکو
اور وہی خاک میں ملا دیگا
– रियाज़ तारिक़ मागंरोल , गेस्ट पॉएट
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