राहुल गांधी के दौरे के समय रुपनगढ की ट्रेक्टर रैली कार्यक्रम मे मंच से पायलट को उतारने को लेकर उभाल।
पायलट 19-फरवरी को जयपुर जिले के कोटखावदा मे किसान महापंचायत को सम्बोधित करेंगे।
गेस्ट ब्लॉगर अशफाक कायमखानी जयपुर
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा अनेक दफा यह कहना कि कांग्रेस मे एक मात्र वो माली जाती के विधायक जीतने के बावजूद तीसरी दफा मुख्यमंत्री बन चुके है एवं उनके व पायलट समर्थक विधायकों मे विवाद की स्थिति पैदा होने के समय गहलोत द्वारा पायलट के लिये नाकारा शब्द का उपयोग करने के बाद से गहरी हुई खाई अभी कुछ भरी भी नही थी कि अभी 13-फरवरी को राहुल गांधी के दौरे के समय अजमेर के रुपनगढ की ट्रेक्टर रैली कार्यक्रम के समय मंच से पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को नीचें उतारने के बाद से कांग्रेस के अंदरूनी झगड़े की खाई को ओर अधिक गहरा कर दिया है। पायलट को मंच से उतारने की घटना को पायलट समर्थक व आम जनता मुख्यमंत्री गहलोत से जोड़कर देख रहे है।
किसान आंदोलन व किसानों की मांग के समर्थन मे सचिन पायलट खेमे द्वारा राजस्थान के हर जिले मे किसान महापंचायत करने के सीलसीले मे राहुल गांधी के दौरे के बाद व रुपनगढ के कार्यक्रम मे पायलट को मंच से नीचे उतारने का जहर का घूंट पीने के बाद पायलट समर्थक विधायक वैद प्रकाश सोलंकी द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र चाकसू यानी जयपुर जिले के कोटखावदा गांव मे 19-फरवरी को किसान महापंचायत आयोजित कर रहे है। जिसमे लाखो किसानों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि विधायक वैद प्रकाश ने सचिन पायलट सहित मुख्यमंत्री गहलोत व प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा सहित अनेक कांग्रेस नेताओं को आमंत्रित किया है। लेकिन मुख्यमंत्री व डोटासरा सहित उनके खेमे के किसी नेता के उक्त महापंचायत मे शामिल होने की उम्मीद क्षीण है। इससे पहले पायलट समर्थक दौसा विधायक मुरारी मीणा द्वारा दौसा मे आयोजित की गई किसान महापंचायत मे दौसा जिले से तालूक रखने वाले विधायक व मुख्यमंत्री समर्थक मंत्री परशादी लाल मीणा व ममता भुपेश ने कार्यक्रम देने के बावजूद उस महापंचायत मे शिरकत नही की थी। जबकि उक्त तरह की आयोजित होने वाली महापंचायतों मे पायलट व उनके समर्थक अधीकांश विधायक शामिल हो रहे है।
राजस्थान की राजनीति के जानकार मानते है कि जनता मे जनाधार व मतदाताओं पर मजबूत पकड़ रखने वाले नेता के तौर पर गहलोत के मुकाबले पायलट को वर्तमान समय मे बडा नेता माना जा रहा है। लेकिन तिकड़म व दिल्ली हाईकमान को ढंग से मेनेज करने की कला मे पायलट के मुकाबले गहलोत को काफी आगे माना जा रहा है। 12-13 फरवरी के राहुलगांधी के राजस्थान दौरे के समय रुपनगढ की ट्रेक्टर रैली कार्यक्रम के समय मंच से पायलट को नीचें उतारने की घटना से राजस्थान की जनता मे पायलट के साथ अन्याय होना मानने के चलते उनके प्रति सहानुभूति पनपने के पैमाने मे भारी इजाफा होना देखा जा रहा है। ओर इस घटना के लिये मुख्यमंत्री गहलोत को जिम्मेदार माना जा रहा है।
असंतोष नही भभकने के लिये मुख्यमंत्री गहलोत राजनीतिक नियुक्तिया व मंत्रीमण्डल विस्तार व बदलाव को लगातार आगे बढाने मे लगे हुये है। लेकिन चार उपचुनाव व बजट सत्र सम्पन्न होने के बाद करीब मई महीने के बाद मुख्यमंत्री के लिये यह सब टालना मुश्किल होगा। मुख्यमंत्री गहलोत की कार्यशेली को लेकर विधायकों व कांग्रेस मे जारी असंतोष मे अंदर ही अंदर उभाल आ रहा है। कब विस्फोटक स्थिति धारण करले कह नही सकते। पांडूचेरी मे आज के राहुल गांधी के दौरे के पहले कांग्रेस के एक एक करके चार विधायकों के त्याग पत्र देने के बाद वहां कांग्रेस सरकार के अल्पमत मे आने की घटना की तरह किसी अलग रुप मे राजस्थान मे भी घटीत होने के हालात फिर से बनने के आसार नजर आने लग रहे है।
. कुल मिलाकर यह है कि 13-फरवरी को राहुल गांधी के दौरे के समय रुपनगढ की टेक्टर रैली कार्यक्रम मे मंच से सचिन पायलट को नीचे उतारकर राहुल के अलावा गहलोत व डोटासरा के मंच पर रहने की घटना को आम जनता के गहलोत से जोड़कर देखने के अलावा पायलट के साथ अन्याय होना मानकर चल रही है। उक्त घटना से पायलट के प्रति सहानुभूति का ग्राफ बढा है। एवं अब 19-फरवरी को सचिन पायलट मुख्यमंत्री गहलोत के सामने जयपुर के कोटखावदा मे किसान महापंचायत को सम्बोधित करने आ रहे है। इससे पहले दौसा व भरतपुर जिले मे पायलट की आयोजित किसान महापंचायत मे भारी भीड़ उमड़ने से राजनीतिक हलके मे नई बहस को जन्म दे दिया है।कोटखावदा की महापंचायत को लोग छाती पर आकर मूंग दलने की कहावत से जोड़कर भी देख रहे है।
– गेस्ट ब्लॉगर अशफाक कायमखानी जयपुर
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