राजस्थान के गाजी फकीर व डा. अजमल खान नामक दो शख्सियते अलविदा कह गये।
गेस्ट ब्लॉगर अशफाक कायमखानी
जयपुर।
राजस्थान की पाकिस्तान के सिंध प्रांत से लगती सीमा के जैसलमेर-बाडमेंर व बीकानेर के अलावा जोधपुर जिले मे रहने वाले सिंधी मुस्लिम बिरादरी मे धर्मगुरु के तौर पर पहचाने जाने वाले जैसलमेर के भागू का गावं निवासी गाजी फकीर कुछ दिन बीमार रहने के बाद अलविदा कह गये। राजनीतिक रुप से मजबूत व सभी राजनीतिक दलो के नेताओं से अच्छे सबंध रखने वाले कांग्रेस पार्टी से तालूक रखने वाले गाजी फकीर के बेटे व पोकरण विधायक शाले मोहम्मद वर्तमान राज्य सरकार मे केबिनेट मंत्री है। जबकि उनके भाई व पूत्र जैसलमेर से जिला प्रमुख व प्रधान रह चुके है। सिंधी मुस्लिम समाज मे राजनीतिक तौर पर अनेको बार विधायक रहे मरहूम अब्दुल हादी व मंत्री रहे शिव विधायक आमीन खा प्रभावशाली नेता रहे एवं है। लेकिन इनसे अलग गाजी फकीर की राजनीति पर अच्छी पकड़ के अलावा उनको उनकी बिरादरी मे एक धार्मिक गुरु के तौर पर माना जाता था। गाजी फकीर पीछले साल तब अधिक चर्चा मे आये तब पायलट व गहलोत समर्थक विधायकों के अलग अलग केम्पो मे रहते समय अचानक वो जयपुर की होटल मे गहलोत समर्थक ठहरे विधायकों के मध्य होटल मे पहुंच गये थे। उसके बाद गहलोत समर्थक विधायकों को जयपुर से लाकर जैसलमेर की होटल मे पर्दे के पीछे गाजी फकीर परिवार की मेजबानी मे ठहराया गया था। गाजी फकीर के जाने के बाद उनके परिवार की राजनीतिक पकड़ को जमाये रखना उतना आसान नही होगा जितना गाजी फकीर व उनके भाई फतेह मोहम्मद के समय थी।
गाजी फकीर के अलविदा होने के साथ ही नवाब नगरी टोंक के प्रमुख व्यवसायी व सामाजिक कारकुन डा. अजमल खान के भी अलविदा कहने की खबर ने सबको हिलाकर रख दिया। डा.अजमल टोंक नगरपरिषद के चैयरमैन रह चुके है। इनके चैयरमेन काल मे टोंक मे विकास के नये आयम बने थे।
कुल मिलाकर यह है कि गाजी फकीर व डा.अजमल को आज उनके पेतृक कब्रिस्तान मे सुपुर्दे खाक किया गया है। इन दोनो के अलविदा कहने से राजस्थान की कांग्रेस सियासत को एक बडा झटका लगना माना जा रहा है।
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