राजस्थान वक्फ बोर्ड का आठ मार्च को कार्यकाल पूरा होने को है, लेकिन सदस्यों के लिये चुनावी प्रक्रिया अभी शुरु नही हुई।
नये चुनाव के लिये सरकारी स्तर पर हलचल पर प्रशासक लगने के चांसेज अधिक बताये जा रहे है। ।
– गेस्ट ब्लॉगर अशफ़ाक कायमखानी का ब्लॉग
जयपुर
राजस्थान वक्फ बोर्ड के मोजूदा बोर्ड के 9-मार्च-2016 को गठित होने के बाद सरकार द्वारा नामित तीन सदस्यों मे से अबूबकर नकवी के चेयरमैन बनने के बाद उन सहित तीनो सदस्यों की सदस्यता की योग्यता को लेकर न्यायालय मे चले वाद के बाद अध्यक्ष सहित तीनो की सदस्यता रद्द होने के उपरांत कांग्रेस सरकार द्वारा काफी दिनो बाद फिर तीन सदस्य खानू खान, डा.राणा जैदी व अस्मा खान को नामित करके अध्यक्ष पद के लिये उपचुनाव करवाने पर खानू खान निर्विरोध अध्यक्ष चुने गये थे। मोजुदा बोर्ड का 8- मार्च-2021 तक का कार्यकाल है। उसके पहले सरकार समस्त तरह की चुनावी व मनोनयन प्रक्रिया अपना कर नये अध्यक्ष का चुनाव करवाने मे सफल होती है या फिर कुछ दिनो तक फिर से बोर्ड पर प्रशासन राज कायम होता है। या फिर सरकार अन्य विकल्प तलाश करती है। यह सब अगले कुछ दिनो मे सामने आ पायेगा।
राजस्थान वक्फ बोर्ड गठन मे कुछ सदस्यों का चुनाव होता है एवं कुछ सदस्यों का राज्य सरकार के द्वारा विभिन्न केटेगरी मे मनोनयन होता है। एक सदस्य लोकसभा या राज्य सभा के वर्तमान मुस्लिम सदस्य हो तो उनमे से अगर वर्तमान सदस्य नही हो तो पूर्व सदस्यों मे से एक सदस्य के लिये चुनावी प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसी तरह एक विधायक, एक राजस्थान बार कोंसिल के सदस्य के लिये एवं दो राजस्थान की एक विशेष आमदनी वाली वक्फ इदारो के मुतवल्लीयो की केटेगरी मे से चुने जाते है। उक्त पांच सदस्य चुनाव प्रक्रिया के मार्फत चुनकर आने के अलावा चार सदस्य विभिन्न केटेगरी के राज्य सरकार द्वारा मनोनयन होकर आते है। जिनमे एक एक शिया व सुन्नी धार्मिक विद्वान व एक सामाजिक कार्यकर्ता व एक राजस्थान प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होना चाहिए। उक्त कुल नो सदस्यों मे से दो महिला सदस्य होना अनिवार्य माना गया है।
मोजुदा बोर्ड मे सांसद कोटे से अश्क अली टांक, विधायक कोटे से रफीक खान, बार कोंसिल कोटे से नासीर नकवी, राजस्थान प्रशासनिक सेवा अधिकारी कोटे से जमील अहमद कुरेशी, व मुतवल्ली कोटे से शौकत कुरेशी व यूसुफ सरवाड़ सदस्य है। इनके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कोटे मे नामित खानू खान, राणा जैदी व अस्मा खान सदस्य है। जिनमे से खानू खान अध्यक्ष पद पर चुने हुये है।
हालांकि खानू खान के फिर से अध्यक्ष बनने की सम्भावना अधिक प्रबल मानी जा रही है। लेकिन इसके लिये उनको नये शीरे से सदस्य नामित होकर फिर अध्यक्ष का चुनाव लड़ना होगा। इसके अलावा सरकार को विभिन्न केटेगरी वाले सदस्यों के चयन के लिये चुनावी कार्यक्रम घोषित करके चुनावी प्रक्रिया अपनानी होगी। उक्त सदस्यों मे से कुछ सदस्य भाजपा सरकार के समय बने थे तो कुछ सदस्य कांग्रेस सरकार के समय बने है। कुछ केटेगरी के सदस्यों मे बदलाव आ गया है जैसे बार कोंसिल मे सैय्यद शाहिद हसन नकवी भी सदस्य वर्तमान समय बने हुये है। वहीँ मुतवल्ली सदस्यों का चुनाव होगा जिनमे फैरबदल की गुजाईश मानी जा रही है।
कुल मिलाकर यह है कि कुछ दिनो बाद इसी आठ मार्च को वर्तमान वक्फ बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। नये तौर पर फिर से बोर्ड गठित होगा। जिसके लिये राज्य सरकार आवश्यक प्रक्रिया समय रहते अपना लेती है या फिर कुछ समय के लिये प्रशासक राज रहेगा। या फिर सरकार दोनो को छोड़कर कुछ समय तक अन्य कोई विकल्प अपनाती है। यह अगले कुछ दिनो मे सामने आने लगेगा। सभी तरह की चुनावी प्रक्रिया के लिये जयपुर जिला कलेक्टर चुनाव अधिकारी होता है। नये सदस्य बनने व अध्यक्ष बनने की दौड़ मे खानू खान के अलावा भी अनेक लोगो ने भागदौड़ शुरू कर रखी है।
जयपुर।
राजस्थान वक्फ बोर्ड के मोजूदा बोर्ड के 9-मार्च-2016 को गठित होने के बाद सरकार द्वारा नामित तीन सदस्यों मे से अबूबकर नकवी के चेयरमैन बनने के बाद उन सहित तीनो सदस्यों की सदस्यता की योग्यता को लेकर न्यायालय मे चले वाद के बाद अध्यक्ष सहित तीनो की सदस्यता रद्द होने के उपरांत कांग्रेस सरकार द्वारा काफी दिनो बाद फिर तीन सदस्य खानू खान, डा.राणा जैदी व अस्मा खान को नामित करके अध्यक्ष पद के लिये उपचुनाव करवाने पर खानू खान निर्विरोध अध्यक्ष चुने गये थे। मोजुदा बोर्ड का 8- मार्च-2021 तक का कार्यकाल है। उसके पहले सरकार समस्त तरह की चुनावी व मनोनयन प्रक्रिया अपना कर नये अध्यक्ष का चुनाव करवाने मे सफल होती है या फिर कुछ दिनो तक फिर से बोर्ड पर प्रशासन राज कायम होता है। या फिर सरकार अन्य विकल्प तलाश करती है। यह सब अगले कुछ दिनो मे सामने आ पायेगा।
राजस्थान वक्फ बोर्ड गठन मे कुछ सदस्यों का चुनाव होता है एवं कुछ सदस्यों का राज्य सरकार के द्वारा विभिन्न केटेगरी मे मनोनयन होता है। एक सदस्य लोकसभा या राज्य सभा के वर्तमान मुस्लिम सदस्य हो तो उनमे से अगर वर्तमान सदस्य नही हो तो पूर्व सदस्यों मे से एक सदस्य के लिये चुनावी प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसी तरह एक विधायक, एक राजस्थान बार कोंसिल के सदस्य के लिये एवं दो राजस्थान की एक विशेष आमदनी वाली वक्फ इदारो के मुतवल्लीयो की केटेगरी मे से चुने जाते है। उक्त पांच सदस्य चुनाव प्रक्रिया के मार्फत चुनकर आने के अलावा चार सदस्य विभिन्न केटेगरी के राज्य सरकार द्वारा मनोनयन होकर आते है। जिनमे एक एक शिया व सुन्नी धार्मिक विद्वान व एक सामाजिक कार्यकर्ता व एक राजस्थान प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होना चाहिए। उक्त कुल नो सदस्यों मे से दो महिला सदस्य होना अनिवार्य माना गया है।
मोजुदा बोर्ड मे सांसद कोटे से अश्क अली टांक, विधायक कोटे से रफीक खान, बार कोंसिल कोटे से नासीर नकवी, राजस्थान प्रशासनिक सेवा अधिकारी कोटे से जमील अहमद कुरेशी, व मुतवल्ली कोटे से शौकत कुरेशी व यूसुफ सरवाड़ सदस्य है। इनके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कोटे मे नामित खानू खान, राणा जैदी व अस्मा खान सदस्य है। जिनमे से खानू खान अध्यक्ष पद पर चुने हुये है।
हालांकि खानू खान के फिर से अध्यक्ष बनने की सम्भावना अधिक प्रबल मानी जा रही है। लेकिन इसके लिये उनको नये शीरे से सदस्य नामित होकर फिर अध्यक्ष का चुनाव लड़ना होगा। इसके अलावा सरकार को विभिन्न केटेगरी वाले सदस्यों के चयन के लिये चुनावी कार्यक्रम घोषित करके चुनावी प्रक्रिया अपनानी होगी। उक्त सदस्यों मे से कुछ सदस्य भाजपा सरकार के समय बने थे तो कुछ सदस्य कांग्रेस सरकार के समय बने है। कुछ केटेगरी के सदस्यों मे बदलाव आ गया है जैसे बार कोंसिल मे सैय्यद शाहिद हसन नकवी भी सदस्य वर्तमान समय बने हुये है। वहीँ मुतवल्ली सदस्यों का चुनाव होगा जिनमे फैरबदल की गुजाईश मानी जा रही है।
कुल मिलाकर यह है कि कुछ दिनो बाद इसी आठ मार्च को वर्तमान वक्फ बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। नये तौर पर फिर से बोर्ड गठित होगा। जिसके लिये राज्य सरकार आवश्यक प्रक्रिया समय रहते अपना लेती है या फिर कुछ समय के लिये प्रशासक राज रहेगा। या फिर सरकार दोनो को छोड़कर कुछ समय तक अन्य कोई विकल्प अपनाती है। यह अगले कुछ दिनो मे सामने आने लगेगा। सभी तरह की चुनावी प्रक्रिया के लिये जयपुर जिला कलेक्टर चुनाव अधिकारी होता है। नये सदस्य बनने व अध्यक्ष बनने की दौड़ मे खानू खान के अलावा भी अनेक लोगो ने भागदौड़ शुरू कर रखी है।
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जयपुर।
राजस्थान वक्फ बोर्ड के मोजूदा बोर्ड के 9-मार्च-2016 को गठित होने के बाद सरकार द्वारा नामित तीन सदस्यों मे से अबूबकर नकवी के चेयरमैन बनने के बाद उन सहित तीनो सदस्यों की सदस्यता की योग्यता को लेकर न्यायालय मे चले वाद के बाद अध्यक्ष सहित तीनो की सदस्यता रद्द होने के उपरांत कांग्रेस सरकार द्वारा काफी दिनो बाद फिर तीन सदस्य खानू खान, डा.राणा जैदी व अस्मा खान को नामित करके अध्यक्ष पद के लिये उपचुनाव करवाने पर खानू खान निर्विरोध अध्यक्ष चुने गये थे। मोजुदा बोर्ड का 8- मार्च-2021 तक का कार्यकाल है। उसके पहले सरकार समस्त तरह की चुनावी व मनोनयन प्रक्रिया अपना कर नये अध्यक्ष का चुनाव करवाने मे सफल होती है या फिर कुछ दिनो तक फिर से बोर्ड पर प्रशासन राज कायम होता है। या फिर सरकार अन्य विकल्प तलाश करती है। यह सब अगले कुछ दिनो मे सामने आ पायेगा।
राजस्थान वक्फ बोर्ड गठन मे कुछ सदस्यों का चुनाव होता है एवं कुछ सदस्यों का राज्य सरकार के द्वारा विभिन्न केटेगरी मे मनोनयन होता है। एक सदस्य लोकसभा या राज्य सभा के वर्तमान मुस्लिम सदस्य हो तो उनमे से अगर वर्तमान सदस्य नही हो तो पूर्व सदस्यों मे से एक सदस्य के लिये चुनावी प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसी तरह एक विधायक, एक राजस्थान बार कोंसिल के सदस्य के लिये एवं दो राजस्थान की एक विशेष आमदनी वाली वक्फ इदारो के मुतवल्लीयो की केटेगरी मे से चुने जाते है। उक्त पांच सदस्य चुनाव प्रक्रिया के मार्फत चुनकर आने के अलावा चार सदस्य विभिन्न केटेगरी के राज्य सरकार द्वारा मनोनयन होकर आते है। जिनमे एक एक शिया व सुन्नी धार्मिक विद्वान व एक सामाजिक कार्यकर्ता व एक राजस्थान प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होना चाहिए। उक्त कुल नो सदस्यों मे से दो महिला सदस्य होना अनिवार्य माना गया है।
मोजुदा बोर्ड मे सांसद कोटे से अश्क अली टांक, विधायक कोटे से रफीक खान, बार कोंसिल कोटे से नासीर नकवी, राजस्थान प्रशासनिक सेवा अधिकारी कोटे से जमील अहमद कुरेशी, व मुतवल्ली कोटे से शौकत कुरेशी व यूसुफ सरवाड़ सदस्य है। इनके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कोटे मे नामित खानू खान, राणा जैदी व अस्मा खान सदस्य है। जिनमे से खानू खान अध्यक्ष पद पर चुने हुये है।
हालांकि खानू खान के फिर से अध्यक्ष बनने की सम्भावना अधिक प्रबल मानी जा रही है। लेकिन इसके लिये उनको नये शीरे से सदस्य नामित होकर फिर अध्यक्ष का चुनाव लड़ना होगा। इसके अलावा सरकार को विभिन्न केटेगरी वाले सदस्यों के चयन के लिये चुनावी कार्यक्रम घोषित करके चुनावी प्रक्रिया अपनानी होगी। उक्त सदस्यों मे से कुछ सदस्य भाजपा सरकार के समय बने थे तो कुछ सदस्य कांग्रेस सरकार के समय बने है। कुछ केटेगरी के सदस्यों मे बदलाव आ गया है जैसे बार कोंसिल मे सैय्यद शाहिद हसन नकवी भी सदस्य वर्तमान समय बने हुये है। वहीँ मुतवल्ली सदस्यों का चुनाव होगा जिनमे फैरबदल की गुजाईश मानी जा रही है।
कुल मिलाकर यह है कि कुछ दिनो बाद इसी आठ मार्च को वर्तमान वक्फ बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। नये तौर पर फिर से बोर्ड गठित होगा। जिसके लिये राज्य सरकार आवश्यक प्रक्रिया समय रहते अपना लेती है या फिर कुछ समय के लिये प्रशासक राज रहेगा। या फिर सरकार दोनो को छोड़कर कुछ समय तक अन्य कोई विकल्प अपनाती है। यह अगले कुछ दिनो मे सामने आने लगेगा। सभी तरह की चुनावी प्रक्रिया के लिये जयपुर जिला कलेक्टर चुनाव अधिकारी होता है। नये सदस्य बनने व अध्यक्ष बनने की दौड़ मे खानू खान के अलावा भी अनेक लोगो ने भागदौड़ शुरू कर रखी है।
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