5 सितम्बर 2022 से कोटा से फिर शुरू हुई जवाबदेही यात्रा
चुनाव में किए वादे को निभाएं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य में जवाबदेही कानून लेकर आयें – निखिल डे
कानून बनाये जाने तक संघर्ष जारी रहेगा- शंकर सिंह
फिरोज़ खान
कोटा 5 सितम्बर।
राजस्थान की जनता मांगे जवाबदेही कानून …, राशन का सवाल है, जवाब दो, जवाब दो, लोकतंत्र का सवाल है, जवाब दो, जवाब दो, पुलिस अत्याचार का सवाल है, जवाब दो, जवाब दो। आदि गीत और नारों से खूब जोश और ऊर्जा के साथ आज कोटा से फिर से जवाबदेही यात्रा की शुरुआत हुई I 100 से भी अधिक लोगों के साथ आज गीत, कठपुतली के जरिये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उनकी वादा खिलाफी को लेकर गीत गाए और उन्हें याद दिलाया कि अभी भी समय है यदि समय रहते चेत जाओ तो अच्छा रहेगा.
पिछले एक दशक से भी अधिक समय से जवाबदेही कानून की मांग राज्य में की जा रही है. गौरतलब है कि सूचना का अधिकार, महात्मा गाँधी नरेगा, सामाजिक अंकेक्षण जैसे कानून और प्रयासों के लिए राजस्थान से आन्दोलन की शुरुआत हुई और ये कानून बने और पूरे देश में फैले. जवाबदेही कानून आरटीआई पार्ट-2 है, जो पारदर्शिता से जवाबदेही की ओर ले जायेगा. ये कानून राज्य में लोकसेवकों की जनता के प्रति जवाबदेही स्थापित करेगा.
2018 में राजस्थान कांग्रेस कमेटी ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि वे जवाबदेही कानून लाएंगेI काँग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया के नेतृत्व में कानून का मसौदा बनाये जाने और अपने सिफारिश देने के लिए समिति बनाई, जिसने कानूनी मसोदा जनवरी 2020 में प्रस्तुत कर दिया थाI मुख्यमंत्री ने 2022-23 के बजट में पुनः जवाबदेही कानून लाने की घोषणा की है लेकिन आज दिन तक उस कानून के मसौदे को विधानसभा के पटल पर नहीं रखा गयाI
सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान से जुड़े निखिल डे ने कहा कि राजस्थान सरकार ‘जावाबदेही क़ानून’ पारित करे जिससे लोक सेवकों की जनता के प्रति जावाबदेही सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि राजस्थान कांग्रेस कमेटी द्वारा लाये गए चुनाव घोषणा पत्र और उसके बाद दो बार बजट में घोषणा करने के बाद भी यह कानून नहीं लाया जा रहा है, इसलिए अपने वादे के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह कानून अगले विधानसभा सत्र में आवश्यक रूप से लेकर आएं. यदि राज्य सरकार यह कानून नहीं लाती है तो यह कहा जाना कि सरकार जवाबदेह और पारदर्शी है पर अपने आप प्रश्न चिन्ह लग जाता है.
मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े शंकर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कितनी ही देरी कर लें लेकिन जनता का यह संघर्ष इस कानून के लिए जब तक जारी रहेगा जब तक यह कानून नहीं आ जाता है.
इस कानून के कुछ मुख्य प्रावधान निम्न हैं जिन्हें सुनिश्चित किया जाये-
हर ग्राम पंचायत/ वार्ड के स्तर पर एक लोक सुनवाई और सहायता केंद्र बनाया जाये.
नागरिकों की बात सुनी जाए और नहीं सुने जाने पर दंड का प्रावधान हो।
उनकी शिकायतों का पंजीकरण और समयबद्ध समाधान हो और समाधान नहीं करने वाले कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई हो और उन्हें दण्डित किया जाये।
अपील के लिए स्वतंत्र व विकेंद्रित मंच बने और समय पर काम नहीं करने वाले कार्मिक दण्डित किये जाएँ ।
आज फिर से प्रसिद्द सामाजिक कार्यकर्त्ता अरुणा रॉय ने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर राज्य में जल्द जवाबदेही कानून लाये जाने की मांग की है.
आपको ज्ञात है कि 33 जिलों में जा रही यात्रा का संयोजन सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राजस्थान ( एस आर अभियान) कर रहा है जो लगभग 80 सामाजिक आंदोलनों, अभियानों व संगठनों का सामूहिक मंच है I यह अभियान पिछले 17 वर्षों से जनता से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाता रहा है और उन पर जवाबदेही की मांग करता रहा है. आप सभी जानते हैं कि इसी वर्ष 5 जनवरी 2022 को कोविड के मामले बढ़ने की वजह से इस दूसरी जवाबदेही यात्रा को कोटा में स्थगित करना पड़ा था. पूर्व में की घोषणा के अनुरूप आज वापस यात्रा इसी कोटा शहर से शुरू हो रही है.
ज्ञात हो की 2015-16 में एस आर अभियान द्वारा राजस्थान के सभी 33 ज़िलों में 100 दिन की पहली जावाबदेही यात्रा निकाली गयी थी। यात्रा के दौरान अभियान द्वारा लगभग 10,000 शिकायतों का पंजीकरण किया गया जिन्हें राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर भी डाला गया था और उनके पीछा किया गया था। इसके बाद जयपुर में 22 दिन का जावाबदेही धरना लगाया गया और सरकार से तुरंत यह क़ानून पारित करने की माँग की गयी ताकि लाखों लोगों के मूलभूत अधिकारों के हो रहे उल्लंघन को रोका जा सके।
निखिल डे, डॉ सुधीर गुप्ता कविता श्रीवास्तव, शंकर सिंह, एडवोकेट बीटा स्वामी,आर डी व्यास, श्याम लाल, वकताराम, ऋचा औदिच्य, चन्द्रकला, रणछोड़ देवासी, भँवर मेघवंशी, नरसाराम, लाडूराम, लखमाराम, ताराचंद वर्मा, चेतनराम, रावतराम, मोहनराम, तोलाराम, अनीता सोनी, प्रेम कँवर डांगी, मनीषा, पप्पूराम, नौरतमल, कमल कुमार, पारस बंजारा, मुकेश निर्वासित, मूलचंद तथा अभियान के अन्य सभी साथी थे।
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