पिता पर समर्पित कुणालगौतम (जिगरी) की शानदार कविता

Sufi Ki Kalam Se

नमन काव्य मंच सृजनसागर

#

पिता उम्मीद है साहस है और सहारा है
पिता से ही घर में हर खुशियों का पसारा है!

पिता के बिना बेनूर लगता हर नजारा है
हर उम्मीद और खुशियां भी बेसहारा है!

आपने ही उंगली पकड़कर चलना सिखाया
दृढ़ता और विश्वास का दीप मन में जलाया!

बिना समझ के भी हम कितने सच्चे थे
वो भी क्या दिन थे जब हम बच्चे थे!

पिता के बिना जिंदगी वीरान है
सफर तन्हा और राह सुनसान है

बचपन से लेकर आज तक,
जिन्होंने कोई कमी न रखीं!

खुद ने आंसू छिपाए लेकिन,
आंखें हमारी नम न रखीं!

कहते हैं कि भगवान हर जगह नहीं होते,
मगर पिता भगवान से कम नहीं होते!

वही मेरी जमीं वही आसमान है,
मेरे पिताजी ही मेरे भगवान है!

कुणालगौतम (जिगरी)

Sufi Ki Kalam Se

15 thoughts on “पिता पर समर्पित कुणालगौतम (जिगरी) की शानदार कविता

  1. Pingback: magnum research
  2. Pingback: perfect ambience
  3. Pingback: sex viet
  4. Pingback: GMZ999
  5. Pingback: lsm44

Comments are closed.

error: Content is protected !!