SRK.G की क़लम से……
चित्तौड़/ कपासन = मेवाड़ क्षेत्र
➖ भारत के ऐतिहासिक पन्नों में एक
नाम = चित्तौड़गढ़ , भी विशेष स्थान रखता है|
– यहाँ शोधकर्ताओं के अनुसार सबसे पहला वंश’ गुहिल वंश’ का माना जाता है, जिसकी स्थापना (पहला शासक) मेवाड़ के राजवंश बप्पा राव/रावल {राजस्थान का चाल्स मेट कॉफ} ने की |
🔜 एक तरफ़ जो राजस्थान के ऐतिहासिकारों में – से *सबसे बड़ा दुर्ग रहा* है ,
जो एक घोड़े की नाल के समान नज़र आता है |
➖ जो कोटा से 170 किलो मीटर दूरी पर है , जहाँ पर जाने के लिए कोटा से 4 से 5 घण्टे का समय लगता है जो कि दिल्ली से मालवा और गुज़रात के रास्ते पर स्थित है |
➖ इतिहासकारों के अनुसार यहाँ पर स्थित इस किले का निर्माण मौर्य वंशी राजा चितरंगन
ने 7 वी शताब्दी में करवाया और जिसे अपने नाम के अनुसार – ‘चित्रकूट’ के रूप में बसाया यह किला “गम्भीरी और बेड़च नदी” के तट पर स्थित है |
➖ चितौड़गढ़ जिले का प्रशासनिक मुख्यालय और मेवाड़ के सिसोदिया राजपूत वंश की राजधानी रही है |
– इस किले पर कई बार आक्रमण भी हुए ,【राजस्थान का पहला ,अग्नि जौहर】 जिससे यहाँ पर काफी नुकसान हुआ, फिर भी आज ‘यह सुरक्षित’ जैसा नज़र आता है , यहाँ पर दूर – दूर से इस किले को देखने के लिए बड़ी तादाद में लोग आते है |
➖ यह किला लगभग 80 मीटर पहाड़ी (मेसा के पठार ) पर स्थित जो लगभग 700 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है , इस किले के अन्दर 7 दरवाजे है, जिन्हें कई नामों से जाना – जाता है ,
इस किले के अन्दर राजपूत व वास्तु कला के बेजोड़ नमूने और हस्त शिल्प मूर्तिया हमें देखने को मिलती है |
➖ *यहाँ पर स्थित वास्तु – कलाएं* —
1) यहाँ पर स्थित *विजय स्तम्भ* -जिसका निर्माण ‘राणा कुम्भा’ (दुर्ग का आधुनिक निर्माता) ने सारंगपुर विजय के उपलक्षय में करवाया जो कि 9 मंजिला है,
इसकी तीसरी मंजिल पर 9 बार अरबी भाषा में *अल्लाह* लिखा हुआ है और 8 वी मंज़िल पर एक भी ‘मूर्ति नहीं’ हैे, इसकी 9 वी मन्जिल पर मेवाड़ी भाषा में (कीर्ति प्रशस्ति) राणा कुम्भा की विजय का वर्णन किया गया है |
– इसके ऊपर चढ़ने के लिए 157 सीढ़िया लगी और कई देवी – देवताओं की कलाकृतियां भी उभरी हुई है|
– इसके बारे ‘कर्नल जेम्स टॉड'(घोड़े वाले बाबा) ने कहाँ था , कि ये ‘क़ुतुब मीनार’ से अच्छा है |
2) यहाँ पर एक *कीर्ति स्तम्भ* जिसका निर्माण -12 वी सदी में , जैन व्यापारी/जीजा द्वारा हुआ ,जो 7 मंजिला है |
3) राणा कुम्भा का महल –
4) तालाब के किनारे स्थित “रानी पद्मावती का महल”….
➖जिसके ग्रन्थ को लोकप्रिय – ‘ मोहम्मद जायसी’ ने बनाया।
➖ इनके बारे में ऐसा कहा जाता है , कि इनके साथ लगभग 1600 औरतों ने [प्रथम साका] अग्नि ज़ोहर किया |
5) काली माता का मंदिर –
6) मीरा बाई का मन्दिर , जिसकी तस्वीर की पूजा की जाती है |
7) जैन श्वेताम्बर सातबीस देवी मन्दिर/सूर्य मन्दिर , जो कि इस दुर्ग का सबसे प्राचीन मन्दिर है |
8) राज● म्यूजिम, जिसके अन्दर राजा – महाराजाओं के अर्थ – शस्त्र सुरक्षित मौजूद |
9) तीर्थ स्थल , गोमुख कुंड , खातन बावड़ी…
10) दरगाह – हज़रत “नो गज पीर” सा. रह… अलेह..
– जहाँ पर 9 मीटर की चादर पेश की जाती है |
11) समीदेश्वर महादेव मन्दिर –
12) जनांना बाज़ार – जो कि प्राचीन काल में चित्तौडगढ़ दुर्ग में लगा करता था।
13) मर्ग वन..
➖ दूसरी तरफ़
‘मेवाड़ शरीफ़’ – कपासन जहाँ पर दरगाह- हज़रत दीवान शाह वली रह… अलेह
– जिनकी ज़ियारत के लिए लोग बड़ी दूर – दूर से तशरीफ़ लाते है,
– यह क्षेत्र लगभग 52 बीघा में फैला हुआ है, यह दरगाह बड़ी मशहूर है,
जिसे ‘कपासन दीवान शाह’ के नाम से याद जाता है।
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