रिहायशी इलाकों में फैलता कबाड़ का कारोबार
जयपुर: राजधानी के पर्यावरण और सुरक्षा के लिए खतरा बने कबाड़ गोदाम अभी तक रिहायशी इलाके से बाहर नहीं हो पाए हैं। रहवासी क्षेत्र के बीच बने ये गोदाम कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकते हैं। राजधानी में प्रति वर्ष करोड़ों का कबाड़ व्यवसाय होता है।राजधानी जयपुर के ग्रेटर नगर निगम के वार्ड 114 की करीम नगर, रहीम नगर व मदीना नगर काॅलोनियो में गलियों के अंदर कबाड़ के गोदाम लगे हुए हैं।
व्यवसायियों ने कबाड़ का संग्रह करने के लिए खो नागोरियान क्षेत्र में ही करीब 50 से भी ज़्यादा बड़े और छोटे गोदाम बना रखे हैं। इनमें प्लास्टिक, वाहनों का जला ऑयल, गत्ते, कागज, बायो मेडिकल वेस्ट एवं अन्य ज्वलनशील पदार्थ भरे रहते हैं।
इलाके के निवासियों का कहना है कि खो नागोरियान की कॉलोनियों में रिहायशी प्लॉटों को कबाड़ का गोदाम बनाया हुआ है। जिसमें देर रात तक गाड़ियों की आवाजाही रहती है। वहीं ट्रकों में ओवरलोडिंग माल भरने से इलाके की तारें भी टूटती हैं। जिससे इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई प्रभावित होती है। कबाड़ियों द्वारा सड़क के दोनों किनारों पर कबाड़ फेंक दिया जाता है। जो सड़क की चौड़ाई तो कम करता ही है, साथ ही गंदगी के कारण बीमारियां भी फैला रहा है। उनका कहना है कि जब भी प्लाट मालिक से काम को कहीं और शिफ्ट करने के लिए कहा जाता है। तो वह झगड़ने लगता है। इन दिनों खोनागोरियान थाने में इसी क्रम में दो तीन शिकायतें भी दर्ज हो चुकी हैं।इसकी शिकायत कई बार निगम प्रशासन को भी की जा चुकी है लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं की जा रही।
इन कबाड़ के दर्जनों गोदामों से जहां एक ओर खेतीबाड़ी की कृषि वाली जमीन खराब हो रही है वहीं इसमें से फैलने वाले प्रदूषण से लोग भी बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। प्रशासन और सरकार द्वारा इस ओर कोई ध्यान न देने के कारण अब यही कबाड़ के गौदाम खो नागोरियान की आबादी में भी फैलने लगे हैं। गोदामों के पास गन्दगी के ढेर भी लगे रहते हैं। नगर निगम या फिर किसी विभाग द्वारा इसका कोई विरोध न किए जाने पर धीरे-धीरे कबाड़ के गोदाम फैलने लगे है।आज हालात ऐसे हैं कि खो नागोरियान एक बड़ा कबाड़ का गढ़ बन चुका है जिसे हटाने के लिए न तो नगर निगम न प्रशासन हिम्मत जुटा पा रहा है।
प्लास्टिक गोदाम की आड़ हो रहा बायो मेडिकल वेस्ट का काम अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट का निपटारा सही तरीके से नहीं किये जाने के प्रदूषण बढ़ रहा है।
अस्पतालों से निकलने वाला खतरनाक कचरा आम आदमी के स्वास्थ्य के लिए व पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है। इन दिनों खोनागोरियान में प्लास्टिक गोदामों की आड़ में बायो मेडिकल वेस्ट का काम भी किया जा रहा है।हमारा पर्यावरण प्रदूषण मुक्त और वातावरण स्वच्छ हो यह जिम्मेदारी सरकार ही नहीं समाज की भी है।हैरत की बात यह है कि इस समस्या से निपटने के लिए बायोमेडिकल वेस्ट रूल्स 1998 भी बनाए गए हैं लेकिन इसका कहीं भी कारगर ढंग से अनुपालन होता नहीं दिख रहा है। सबसे बुरी स्थिति तो अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल कचरे की है। सुदूर ग्रामीण इलाकों की कौन कहे जब राजधानी जयपुर में सैकड़ों की संख्या में निजी नर्सिंग होम व जांच घर का कचरा खुले में प्लास्टिक गोदामों की आड़ में लाकर रखा जा रहा है।
न्यूज सोर्स – ए. जे. खान जयपुर
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