“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “ भाग -1 गेंहू

Sufi Ki Kalam Se

सूफ़ी की क़लम से…✍🏻
आओ चले…उल्टे क़दम
भाग- 1 “गेंहू “

रोटी,कपड़ा और मकान इंसान की मूलभूत आवश्यकता होती है तो इस मुहिम की शुरुआत रोटी से ही करते हैं । रोटी मतलब अनाज और अनाज की जहाँ बात आ जाए तो सबसे पहले गेंहूँ का ही नाम निकल कर आता है ।हालांकि गेंहू से भी ज़्यादा उपयोगी मोटा अनाज होता है जो हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा भी है लेकिन उसकी बात अगले भागों में करेंगे । अभी गेंहू की बात करते हैं जो हमारे देश में सबसे ज़्यादा खाये जाने वाला खाद्यान्न हैं ।
गेंहू की रोटी के स्वाद की बात करें तो ज्यादातर घरों में वो स्वाद नहीं है जो बीसवीं सदी की रोटियों में होता था क्यूंकि वो रोटियाँ वर्तमान समय की रोटियों से काफ़ी भिन्न होती थीं ।
बीसवीं सदी तक का गेहूँ जैविक या प्राकृतिक तरीक़े से उगाया जाता था जो विभिन्न प्रकार के रासायनिक तत्वों से काफ़ी हद तक अप्रभावी होता था और प्राकृतिक ईधन की सहायता से बनने से स्वाद भी लाजवाब होता था । सारी प्रक्रिया प्राकृतिक होने से ना सिर्फ़ वो स्वादिष्ट होता था बल्कि स्वास्थ्य के हिसाब से भी काफ़ी महत्वपूर्ण होता था ।
इक्कीसवीं सदी में आगमन के समय से ही गेंहू की फसल में ज़्यादा पैदावार के लालच में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों के प्रयोग किया जाने लगा जो वर्तमान में काफ़ी मात्रा में प्रयोग किया जाता है । रासायनिक उर्वरकों से ना सिर्फ़ भूमि की उर्वरता कम हुई है है बल्कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और स्वाद की तो बात ही ना करें तो बेहतर होगा ।

किसान क्या करें– गेंहू को जैविक तरीक़े से उगाना किसानो पर ही निर्भर है लेकिन ज्यादातर किसान तर्क देते हैं कि जैविक खेती से पैदावार कम होती है और उन्हें नुक़सान उठाना पड़ता है तो उसका जवाब यह है कि निसंदेह गेंहू को जैविक रूप से उगाने पर पैदावार आधी ही रह जाती है लेकिन ये सिर्फ़ कुछ सालों की परेशानी होगी क्यूँकि हमने भूमि को इतना प्रदूषित कर दिया है कि उसकी उर्वरक क्षमता वापस लाने में थोड़ा सा अतिरिक्त प्रयास करना होगा ।हमें पुनः अपने पूर्वजों के रास्ते पर चलते हुए जैविक खेती को अपनाना होगा जो बहुत आसान भी है । दूसरी बात ये है कि पैदावार कम होगी तो जैविक गेंहू का भाव भी दुगना होता है जिससे किसान को अच्छा मुनाफा भी होगा और साथ ही अपनी भूमि और मानव कल्याण सहित पशुओं को भी पौष्टिक आहार मिलेगा ।
(जैविक खेती की विस्तृत जानकारी के लिए हमारे यूट्यूब चैनल sufi ki qalam se देखे )

ख़रीददार क्या करें
गेंहू ख़रीदकर खाने वालों को भी अपने और परिवार के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अच्छी जाँच पड़ताल के बाद ही गेंहूँ की खरीददारी करनी चाहिए । सुनिश्चित करें कि जो गेंहू आप ख़रीद रहे हैं वो कहाँ और किस तरह से उगाया गया है । जैविक गेंहू भले ही आपको महंगा पड़ेगा लेकिन अगर आपको स्वस्थ रहना है तो इतना तो करना ही पड़ेगा क्यूँकि हमारे पूर्वजों ने कहा है तंदुरुस्ती हज़ार नेमत है । आओ लोटकर उनकी बातों और क्रियाकलापों की और चले ।
मिलते है अगले भाग में
आपका सूफ़ी

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6 thoughts on ““आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “ भाग -1 गेंहू

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