‘नौजवानों की जिम्मेदारी’
इज्जत ए मुल्क की हर हाल हमें लाज रखना है ।
जुल्म के खिलाफ बुलंद, हमे आवाज रखना है ।।
जाती मफाद के लिए लड़वाते रहेंगे यह नेता ।
हिंदू मुस्लिम एकता को, हमें मुमताज रखना है ।।
गिराने की कोशिश में रहता है हरदम दुश्मन इसे ।
नौजवानों देश को हमेशा, हमें परवाज़ रखना हैं ।।
तू कितना ही सहारा ले ले झूठ का ए बातिल ।
मरते दम तक सच्चाई का, हमें ताज रखना है ।।
हैवानियत की सारी हदें पार करेगा शैतान ।
सब्र और इंसानियत का, हमें लिहाज़ रखना है ।।
और आएंगे जाएंगे दुनिया में कितने ही फिरौन ।
दुआ है यार रब तेरे ही, हमें मोहताज़ रखना है ।।
ज़ालिम के खिलाफ ज्यादा और कुछ नहीं तो ।
एक हथियार के रूप में, हमें अल्फ़ाज़ रखना है ।।
शहीद हुए हैं देश के लिए कई सैनिक “काज़ी” ।
शाहदतों का कायम यूं ही, हमें रिवाज़ रखना है ।।
– आरिफ “काज़ी” मागंरोल, बारां
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