राजस्थान मदरसा बोर्ड सदस्यों की नियुक्ति के आदेश मे गड़बड़झाला।
सदस्यों की घोषणा के बावजूद नियुक्ति की फाईल का अतापता तक नही।
एक महीने पहले मदरसा बोर्ड के चैयरमैन के मनोनयन के आदेश जरुर जारी हो चुके है।
(गेस्ट ब्लॉगर अशफाक कायमखानी)
जयपुर।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा अलपसंख्यक समुदाय से तालूक रखने वाले अधीकांश बोर्ड-निगम व आयोगो के अध्यक्षों की घोषणा अपने कार्यकाल के अंतिम समय मे एक एक करके तो करदी। लेकिन प्रदेश के विधानसभा चुनावी मोड़ पर आने के बावजूद उनमे सदस्यों की नियुक्तियां अभी तक नही की है। हद तो तब हो गई जब करीब चार महिने पहले मदरसा बोर्ड जैसे अहम बोर्ड के ग्यारह सदस्यों मे से सात सदस्यों के मनोनयन की खबरे अखबारों मे आने पर कुछ सदस्यों ने अपनी महंगी गाडियों के आगे सदस्य, राजस्थान मदरसा बोर्ड की प्लेट भी लगा ली। पर वास्तव मे उन सदस्यों के मनोनयन के आदेश तक ही अभी तक जारी नही हुये है। मनोनयन की फाईल सरकारी स्तर पर कहा अटकी पड़ी है कोई बताने को तैयार नही है।
कुछ महीने पहले अखबारात के माध्यम से मदरसा बोर्ड के कुल ग्यारह सदस्यों मे से सात सदस्यों मोलाना महमूद हसन, सलीम सोढा, मोहम्मद अतीक, लाल मोहम्मद, असरार अहमद, रहमतुल्लाह व सईद सऊदी के राजस्थान मदरसा बोर्ड के सदस्य सरकार द्वारा नामित होने का पता चला। कुछ सदस्यों का इस बिना पर स्वागत समारोह भी भव्य रुप से आयोजित हुये। मुख्यमंत्री का आभार भी जताया गया। पर वास्तव मे सरकार द्वारा सदस्यों के मनोनयन के आदेश आजतक जारी नही हो पाये है। इस मामले मे सबकुछ गड़बड़झाला चल रहा है।
कुल मिलाकर यह है कि सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के सम्बंधित वक्फ बोर्ड व हज कमेटी मे सदस्यों के मनोनयन को छोड़कर अन्य अल्पसंख्यक आयोग, मेवात विकास बोर्ड, वक्फ विकास समिति, मदरसा बोर्ड सहित अन्य बोर्ड, निगम व आयोग के अंतिम समय मे चैयरमेन का मनोनयन तो कर दिया लेकिन सदस्यों का मनोनयन अभी तक नही किया है। जिनमे मदरसा बोर्ड के सदस्यों का मनोनयन होने की फाईल का गड़बड़झाला तो सरकार के गहरी नींद मे सोने का प्रमाण दे रहा है।